अक्टूबर। अत्यंत प्रतिभासंपन्न और विदुषी साहित्यकार थीं गिरिजा वरनवाल। महाकवि हज़ारी प्रसाद द्विवेदीआचार्य विश्वनाथ मिश्र और डा नामवर सिंह जैसे महान साहित्यकारों और आचार्यों की छात्रा रहीं श्रीमती बरनवालबनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्वर्णपदक के साथ स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थीं.

उनकी कविताएँ और कहानियाँ अनेक पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। वो एक विदुषी समालोचक भी थीं। उनकी हिंदी सेवा के लिएइसी वर्ष बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें कुमारी राधा स्मृति हिंदीसेवी सम्मान‘ से विभूषित किया गया था। वो विनम्रता की प्रतिमूर्ति थीं।

यह विचार आज यहाँ राजा बाज़ार स्थित उनके आवास उदितआयतन‘ परआर्यसमाज पद्धति से संपन्न हुई अंत्येष्ठि के पश्चात आयोजित श्रद्धांजलिसभा मेंबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने व्यक्त किए। डा सुलभ ने कहा किउनके साहित्यिकव्यक्तित्व का सही मूल्याँकन तभी हो सकेगा जब उनकी अप्रकाशित रचनाओं को प्रकाश में लाया जाए। उन्होंने उनके साहित्यसेवी पति और सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त से आग्रह किया किउनकी रचनाओं को यथा शीघ्र संकलित करउनका समग्र प्रकाशित करें।

श्रद्धांजलि अर्पित करनेवालों मेंसम्मेलन के प्रधान मंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेवसाहित्यमंत्री डा शिववंश पांडेयजियालाल आर्यडा शत्रुघ्न प्रसादकवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्रडा मेहता नगेंद्र सिंहचंद्रदीप प्रसादराज कुमार प्रेमीप्रो वासुकीनाथ झाडा कल्याणी कुसुम सिंहराजीव कुमार सिंह परिमलेन्दु‘, आचार्य पाँचु रामप्रो अरुण कुमार प्रसाद सिन्हाकैलाश चौधरीइंद्र मोहन मिश्र महफ़िल‘, श्रीकांत सत्यदर्शी के नाम शामिल हैं।

इस अवसर पर कवि आर प्रवेशदिवंगता के पति नृपेंद्र नाथ गुप्तउनके दोनों पुत्र आलोक और विवेक गुप्तपुत्र वधुएँ– पूनम और मोनिकापुत्री प्रज्ञा तथा पौत्र आशिष आदित्य और पौत्रियाँआद्याअनन्या और अनुष्का समेत बड़ी संख्या में परिजन और साहित्यासेवी गान उपस्थित थे।

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