कंचन से मंदिर में व्याह रचाने वाले लखींद्र उस समय सांसत में पड़ गये जब उनकी शादी की रस्म किसी और के साथ अदा की जा रही थी लेकिन कंचन के साहस से उसका प्यार भी मिला और दूसरी युवती का संसार भी बस गया
दीपक कुमार,दरभंगा
कंचन के साहस ने उसे इंसाफ दिला दिया और वह सिन्दूर की लाज बचाने में कामयाब रही। मामला दरभंगा जिला के जाले थाना क्षेत्र के रेवढा गांव का है। बन्तीलाल दास का पुत्र लखेंद्र दास चंदौना स्थित एमकेएस कॉलेज में बारहवी का छात्र है। वह राजमिस्त्री का भी काम करता है। अपने ही रिश्तेदारी में उसे औराई थाना क्षेत्र के कोकिलवाड़ा गांव निवासी नीरज दास की पुत्री कंचन कुमारी से प्रेम हो गया। कंचन बारहवी की छात्रा है। इश्क का परवान ऐसा चढ़ा कि दोनों ने इसी माह के 18 मई को मंदिर में शादी कर ली। दो घण्टे में घर ले चलने का वादा करके लखीन्द्र, कंचन को वहीं मंदिर में अपने गांव भाग आया।
इधर लखीन्द्र के पिता ने लखीन्द्र की शादी सीतामढ़ी जिला के बाजपट्टी थाना क्षेत्र के सिवाईपट्टी निवासी चौकीदार राम प्रवेश दास की पुत्री कुमारी चन्द्रकला के साथ तय कर रखी थी। शादी 19 मई को होनी थी। इसके लिए 17 मई को मटकोर हुआ। 18 को प्रीति भोज हुआ और 19 को शादी होने वाली थी। शिवाईपट्टी जाने के लिए बारात सज चुकी थी। लखेन्द्र दूल्हा बनकर शादी करने के लिए तैयार था। विवाह के गीतों से उसका घर गुलजार था। इसी बीच कंचन वहां आ धमकी और लखीन्द्र को अपना पति बतलाते हुए उसके घर में बैठ गयी। उसने समाज के सामने सारी बातें रख दी। बन्तीलाल का परिवार इसको मानने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन,कंचन के साहस के सामने सब कुछ बौना दिखाई दे रहा था। वह बारात को रोकने में पूरी तरह कामयाब दिख रही थी।अंत में बन्तीलाल का परिवार कंचन से छुटकारा पाने के लिए पुलिस का सहारा लिया। थानाध्यक्ष उमेश कुमार के नेतृत्व में पुलिस वहां पहुंची,तो कंचन ने सारी बातें पुलिस के समक्ष भी रखीं। इस मामले में थानाध्यक्ष ने एएसपी दिलनवाज अहमद से दिशा निर्देश मांगा।
मामला गड़बड़झाला समझ एएसपी के निर्देश पर पुलिस सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से रात के बारह बजे दोनों को स्थानीय थाना ले आई। वहां दोनों ने प्रेम प्रसंग में मंदिर में शादी कर लेने की बात स्वीकार की। इसके बाद बन्तीलाल के परिजनों ने इसकी विस्तृत सुचना चन्द्रकला के परिजनों को दी।
चन्द्रकला के पिता ने लखीन्द्र के छोटे भाई निरंजन दास से पुत्री का विवाह करने की सहमति जताई। रात के लगभग एक बजे डेढ़ दर्जन बारात निरंजन को लेकर सिवाईपट्टी पहुंची और कुमारी चन्द्रकला के साथ शादी हुई। शुक्रवार को बन्तीलाल के घर में उत्सवी माहौल था। उसके छोटे पुत्र निरंजन नववधू को लेकर आ चुका था। वहीं,दूसरी ओर लखीन्द्र और कंचन के दरभंगा से उसके आगमन पर  हर तरफ कंचन के साहस की चर्चा होती रही। कंचन के ससुरालवालों ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया।

By Editor