पटना के आइएमए हॉल में राजद सांसद पप्‍पू यादव और आइएमए बिहार व भासा के प्रतिनिधियों के साथ करीब तीन घंटे तक चली बहस व विमर्श के बाद कई मुद्दों सहमति बनी तो कई मुद्दों पर असहमति के स्‍वर भी सुनाई पड़े। डॉक्‍टरों ने स्‍वीकार किया कि हर पेशे में कुछ खामियां होती हैं और डॉक्‍टरी पेशा उससे अलग नहीं है। लेकिन डॉक्‍टरों ने कहा कि वह बीपीएल मरीजों की फीस में रियायत करेंगे। यह भी तय हुआ कि नर्सिंग होम के बोर्ड पर सरकारी डॉक्‍टरों के नाम अंकित नहीं होंगे। डॉक्‍टर प्रतिनिधियों का आग्रह था कि फीस निर्धारिण को लेकर कोई सीमा नहीं तय की जाए।papu mediacal

अनूप नारायण सिंह

 

विमर्श ने सांसद ने कहा कि नर पिशाच व जल्‍लाद जैसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल फर्जी डिग्रीधारी चिकित्‍सकों के लिए किया था। सेवा भाव से इलाज करने वाले डॉक्‍टरों के लिए हमने इन शब्‍दों का इस्‍तेमाल नहीं किया था। उन्‍होंने डॉ एसएन आर्या, डॉ नरेंद्र सिंह का नाम लेकर कहा कि ऐसे सम्‍मानित व पितालुल्‍य चिकित्‍सकों के लिए इन शब्‍दों का इस्‍तेमाल हमने नहीं किया। हालांकि सांसद ने स्‍पष्‍ट किया कि सहरसा में 13 अक्‍टूबर को आयोजित होने वाली जन अदालत अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी। इस बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था को अधिक जनोपयोगी और सेवाप्रद बनाने के लिए सांसद, आइएएम और भासा मिलकर काम करेंगे, ताकि स्‍वास्‍थ्‍स सेवा में व्‍याप्‍त अविश्‍वास को समाप्‍त किया जाए और समाज में चिकित्‍सकों का मान-सम्‍मान बरकरार रहे।  बहस का संचालन डॉ अजय कुमार ने किया । इस दौरान डॉ एसएएन आर्या, डॉ नरेंद्र सिंह, डॉ विजय शंकर, डॉ रणजीत कुमार, डॉ अशोक यादव ने भी अपनी बात रखीं।

 

इस विमर्श के बाद कोसी में चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था में सुधार के लिए चलाए जा रहे अभियान को विस्‍तार मिल गया है। आईएमए और भासा ने जिन मुद्दों पर सहमति के स्‍वर मिलाए हैं, वह राज्‍य भर में प्रभावी होगा। जैसे नर्सिग होम एक्‍ट प्रावधानों को लागू कराने का दबाव, नर्सिंग होम के बोर्ड पर किसी सरकारी चिकित्‍सक का नाम का अंकित नहीं होना, डॉक्‍टरों द्वारा फी का पर्ची देना व किसी खास पैथोलॉजी के लिए अनुशंसा करने पर मनाही जैसे मुद्दों पर सहमति बनी। इसका असर पर पूरे राज्‍य में पड़ेगा और इसका सारा श्रेय पप्‍पू यादव व उनके अभियान को जाएगा।

 

 

 

 

 

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