सरकार ने डाकघरों में कम बचत स्कीमों में ब्याज दरों में कटौती की है इस कारण देश के करोड़ों लोगों पर असर पड़ेगा.नयी दरें एक अप्रैल 2013 से प्रभावी होंगी.


इस कमी का, माना जा रहा है कि सबसे व्यापक असर पीपीएफ यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड के खाताधारकों को पर पड़ेगा.सरकार ने पीपीएफ और डाकघर बचत स्कीमों पर देय ब्याज में 0.10 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है.

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि पीपीएफ पर ब्याज दर को मौजूदा 8.8 फीसदी से घटाकर 8.7 फीसदी कर दिया गया है.

हालांकि, डाकघरों की 1 साल तक की अवधि वाली फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत डिपॉजिट स्कीमों पर ब्याज दरों में कोई कमी नहीं की गयी है. बचत खातों पर 4 तथा फिक्सड डिपॉजिट पर यथावत 8.2 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा.

पर यथावत रखा गया है। वहीं, 5 साल की परिपक्वता अवधि वाली मंथली इनकम स्कीमों (एमआईएस) पर 8.4 फीसदी ब्याज मिलेगा.

हालांकि नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) पर देय ब्याज को 0.1 फीसदी घटा दिया गया है. अब पांच साल वाले एनएससी पर 8.5 तथा दस साल वाले को 8.8 फीसदी कर दिया गया है.

वरिष्ठ नागरिक बचत स्कीम (एससीएसएस) पर देय ब्याज दर को भी 9.3 फीसदी से घटाकर 9.2 फीसदी कर दिया गया है.

उपर्युक्त छोटी बचत स्कीमों पर देय ब्याज दरों में संशोधन पिछले साल लिए गए निर्णय के मद्देनजर किया गया है.दर असल डाक घरों को इंडिया पोस्टल बैंक बनाने की योजना के तहत यह कदम उठाया गया है. इसलिए सरकार ने इस फैसले के तहत छोटी बचत स्कीमों पर दिए जाने वाले रिटर्न को मार्केट रेट से जोड़ने की कोशिश की है.

By Editor