मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभामंडल से ‘चमत्‍कृत’ होने के बाद आज  पहली बार मीडिया से रूबरू हो रहे थे। करीब 45 मिनट तक खुद बोले, जबकि 20 मिनट पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। नीतीश लालू यादव के साथ संबधों को लेकर भी जमकर बोले और पटना विश्‍वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में साढ़े चार सौ वोट दिलवाने का दावा भी किया।  

वीरेंद्र यादव

‘जनता के दरबार में मुख्‍यमंत्री’ कार्यक्रम के स्‍थगित होने के बाद उस जगह का कायाकल्‍प हो गया है। इसमें दो नये भवन बन गये हैं। लोक संवाद और नेक संवाद। नेक संवाद में अनेक अलग-अलग कमरे हैं। कई हॉल भी हैं। उन्‍हीं में से एक कमरे में पत्रकार वार्ता आयोजित थी। पीसी के बाद मुख्‍यमंत्री ने सबको चाय के लिए आमंत्रित किया। नीतीश ने खुद भी पत्रकारों के साथ चाय-नाश्‍ता ली। यहां भी करीब 35 मिनट पत्रकारों के साथ नीतीश ने अपने विचार साझा किये। जनता परिवार की एकता की बात के दौर की चर्चा के संदर्भ में कहा कि इनको हमारी उपयोगिता समझ में नहीं आ रही थी। जिसको मेरी उपयोगिता समझ में आयी, अपने साथ ले गया। राजद की पीसी के संबंध में चर्चा होने पर उन्‍होंने अपने कुर्ता के पॉकेट से एक कागज निकाला। यह उनके एफिडेवड की कॉपी थी, जिसके आधार पर नीतीश को धारा 302 का आरोपी ठहराया जा रहा है। इस संबंध में नीतीश ने अपनी स्थिति भी स्‍पष्‍ट की और कहा कि हाईकोर्ट ने इस पर स्‍टे लगा दिया।

पत्रकारों के साथ ‘चाय पर चर्चा’ भी पिछले एक सप्‍ताह के घटनाक्रम पर केंद्रित थी। उन्‍होंने कहा कि लालू यादव चुनाव प्रचार में हमारे चुनाव चिह्न तीर का नाम भी नहीं लेते थे, जबकि हम हर सभा में लालटेन की चर्चा करते थे। चुनाव में मिले उम्‍मीदवारों के वोट को देखने से स्‍पष्‍ट हो जाएगा। कई सीट तो हम तीर और तीर धनुष के चक्‍कर में हार गये। पत्रकारों से चर्चा करते हुए संकल्‍प भवन तक आये। इस दौरान नवनिर्मित लोकसंवाद और नेक संवाद के संबंध में भी बताया। उसकी उपयोगिता और बनावट को लेकर भी समझाया। बन रहे सीएम सचिवालय के बारे में भी बताया।

करीब पौने दो घंटे तक मुख्‍यमंत्री पत्रकारों को यह समझाने का प्रयास करते रहे कि भाजपा के साथ जाना समय की जरूरत थी और महागठबंधन में बहुत असहज महसूस कर रहे थे। इस चर्चा में उन्‍होंने बिहार के किसी भाजपा नेता का नाम लिया। नीतीश ने जरूर कहा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्‍व ने उन्‍हें समर्थन देने की बात कही और इसके बाद सबकुछ साझा हो गया। सरकार भी और संकल्‍प भी।

By Editor