एक चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट की आंखों ने पटना के अनेक इलाकों में नौनिहालों को ड्रग्स लेते देखा. इन नौनिहालों की तबाह होती जिंदगियों को बिहार सरकार बचा सकती है, ठीक वैसे ही जैसे शराबबंदी से हजारों परिवारों को बचा लिया.

सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

शबनम फातिमा

कल मुझे खादी का कुरता लेने, मौर्या लोक, शौपिंग काम्प्लेक्स जाने का मौका मिला. मैं वहां से खरीदारी करके अपनी गाड़ी तक लौट ही रही थी, कि लगभग एक 12-13 साल का बच्चा मुझसे टकराया, मैंने किसी तरह से उसको और खुद को गिरने से संभाला.जब उससे उसका हाल पूछने के लिए, मैंने उसे देखा, तो उसकी आँखे, लाल थीं और वह ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था .  शायद किसी तरह के नशे में था. यह कोई पहली दफा नहीं था कि, मैंने पटना की सड़कों पर चलते हुए, ऐसा कुछ देखा हो. कुछ दिनों पहले, मैं पश्चिमी बोरिंग कैनाल रोड की एक दवा कीदुकान में, अपनी माँ के लिए दवा लेने गयी तो वहां मैंने देखा, कि एक छोटा सा बच्चा आया और एक प्रतिबंधित दवा ‘कोरेक्स’ के बारे में, पूछा. पहले तो दुकानदार ने हमलोगों को  देखकर  उसे मना कर दिया, पर अभी लड़का दो कदम दूर ही गया होगा, कि दुकानदार शौचालय का बहाना कर दौड़ कर गया और उस बच्चे को रोका. मैंने देखा उसने उस बच्चे से कुछ रूपये लिए, थोड़ी देर बाद वो बच्चा आया तो उसे एक पैकेट में छुपा कर कुछ दिया.

ड्रग्स का चंगुल

जानकारी  करने पर मालूम पड़ा कि चाहे पटना का बोरिंग रोड हो, गोरखनाथ काम्प्लेक्स, एक्ज़ीबिशन रोड, कंकरबाग, भूतनाथ रोड या मौर्या लोक, हर जगह विभिन्न तरीकों से नशीली दवाइयां खुले आम बिकती है. कोरेक्स जो एक प्रतिबंधित दवा है, वो दवा की दुकानों में 200 से 250 तक में खुले आम बिकती है.

अगर पता लगाया जाए, तो पता चलेगा कि फ़ास्ट फ़ूड काउंटर्स पर, जो आइटमाइज़्ड बिल आता है, उनमें  खाने, पानी, टैक्सेज का विवरण तो होता है, पर एक कॉलम ऐसा भी होता है, जहाँ अमाउंट तो होता है, पर आइटम का विवरण नहीं होता. क्यूंकि वह पैसा उन नशीली दवाओं के लिए, लिया जाता है , जो खुले आम कस्टमर को परोसा जाता है. गोरखनाथ काम्प्लेक्स, हो या बोरिंग रोड चौराहे का अलंकार पैलेस, पंडुई पैले, हर जगह खुले आम ड्रग्स और नशीली दवाएं बिकती हैं.

अपराध

मैं पिछले, 18सालों से बच्चों और उनके अधिकारों के लिए काम करती आ रही हूँ, तो ये जानकारी देनी मेरी ज़िम्मेदारी है कि संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते के अंतर्गत, किसी भी बच्चे को नशीली दवाओं का सेवन करवाने या उसको बढ़ावा देने वाला व्यक्ति, अपराधी होता है और हर राज्य के सरकार की ये ज़िम्मेदारी है कि उसे रोके और इसमें संलिप्त अपराधियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाही करवाए.

शराबबंदी तो ठीक है, ड्रग्स पर ध्यान नहीं

यूँ तो बिहार सरकार ने 1 अप्रैल, 2016 से राज्य में शराब बंदी करवाके, एक सराहनीय कदम उठाया है और न जाने कितने परिवारों में खुशियाँ लौटाईं हैं. कल जो पुरुष नशे की वजह से अपनी पत्नी को प्रताड़ित करते थे, बच्चे जिससे डरते थे, वे आज अपने परिवार को प्यार करते हैं. न जाने कितने परिवार हर पल सरकार के उठाये गए इस निर्णयाक कदम पर उसे कोटि-कोटि धयवाद करते हैं . उसी  प्रकार सरकार इन नशीली दवाओं को प्रतिबन्ध करवाने पर कोई ठोस कदम उठाये और जो नौनिहाल इसकी चपेट में आ रहे हैं, उन्हें बचाए. हम कहते हैं, कि ये अमुक देश, अमुक राज्य ड्रग्स का अड्डा बन गया है, क्या हम ये चाहते हैं की बिहार भी नशेड़ियों और नशे के व्यापार का अड्डा बन जाए ???

हमें पता है, इस दुनिया में सबसे बड़ा और फलता-फूलता व्यापर नशीली दवाओं का है, पर क्या पैसा ही सब कुछ है और आज से कुछ सालों बाद उन पैसों का हम क्या करेंगे, या यह देश क्या करेगा जब हमारे देश की आने वाली पीढ़ी ही बर्बाद हो चुकी होगी.

हमारा बिहार जो गणतंत्र की जननी है, जिसने देश का पहला राष्ट्रपति दिया, क्या सिर्फ इस नशे के चलते अपने सपूतों को बर्बाद होने देगा???

हम भी हैं जिम्मेदार

बिहार में बढ़ते नशीली दवाओं के ज़हर को रोकने के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं हम सभी नागरिक भी अपने तरीके से कदम उठाएं| हम जहाँ भी, जिस जगह भी ऐसा कुछ होता देखे, उसके खिलाफ पुलिस को कंप्लेंट करें या चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर एक फ़ोन ही करें| हम अपने बढ़ते हुए बच्चों पर ध्यान दें, उनमें आये किसी भी बदलाव को नज़रंदाज़ न करें. वो हमारे बच्चे हैं, हम उनसे बात करें, उनके दोस्त बनें. ऐसे दोस्त जिनसे बिना डरे, बच्चे अपने मन की हर बात कह सकें.

हम कुछ ज्यादा तो नहीं, पर लोगों को जागरूक तो कर सकते हैं, हम रोज़ न जाने कितना वक़्त सोशल साइट्स पर बिताते हैं, हम उन साइट्स का इस्तेमाल नशे के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए, लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कर सकते हैं. हम कुछ न सही पर आवाज़ तो उठा ही सकते हैं या इतना भी नहीं कर सकते? सोचना हमें है कि हम क्या कर सकते हैं और क्या नही.

[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/12/shabanam.jpg” ]शबनम फातिमा – फोर्ड फाउंडेशन की अंतरराष्ट्रीय फेलो रहीं. अमेरिका में शिक्षा प्राप्त की. फिलाहाल बिहार में ह्यूमन एंड चाइल्ड राइट्स पर काम कर रही हैं.[/author]

 

 

By Editor