पटना में विद्युत भवन में घुस कर अधिकारियों की पिटाई में आईएएस संजय अग्रवाल का कितना हाथ है यह जांच से पता चलेगा पर उनपर और कई गंभीर आरोप हैं. यहां पढिए.

संजय अग्रवाल; अपशब्दों से गुरेज नहीं
संजय अग्रवाल; अपशब्दों से गुरेज नहीं

पिछले दिनों विद्युत भवन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी मांगों के लिए धरना क्या दे दिया कि शहर में कोहराम की स्थिति आ गयी. पुलिस ने बुजुर्ग अधिकारियों कर्मियों को भी नहीं बख्शा. इन सबके लिए विद्युतकर्मी नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रिब्युशन के प्रबंध निदेशक और 2002 बैच के आईएएस अधिकारी संजय अग्रवाल को जिम्मेदार मान रहे हैं.

लेकिन मामला सिर्फ इतना ही नहीं है. उन पर आरोप है कि वह कर्मियों के साथ तानाशाह की तरह पेश आते हैं. कई बार अपशब्द तक का इस्तेमाल करते हैं. विद्युत भवन में काम करने वाले एक अधिकारी कहते हैं, “एक दिन उन्होंने बिना किसी वजह के मेरे साथ जो व्यवहार किया, वैसा व्यवहार तो चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के साथ भी नहीं किया जाता”.

एक अधिकारी अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए कहते हैं, “उनकी तानाशाही का ही नमूना है कि अब तक 12-15 अधिकारियों को जबरन रिटायर्मेंट तक दिलवा चुके हैं. उनका रैवइया किसी भी तरह एक कुशल प्रशासक की तरह नहीं लगता”.

इन आरोपों पर नौकराशाही डॉट इन ने जब संजय अग्रवाल से उनका पक्ष लेने के लिए सम्पर्क करने की कोशिश की पर फोन रिसीव नहीं किया गया.

पिछले हफ्ते हुए इस घटना से राजधानी पटना का बेली रोड मैदान ए जंग में बदल गया था.

इस हादसे के बाद विद्युत विभाग से जुड़े संघों ने एमडी संजय अग्रवाल को हटाने पर अड़े हैं और लाठी चार्ज की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं.

करियर

संजय अग्रवाल बिहार कैडर के 2002 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने इसी वर्ष मार्च में नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रिब्युशन कम्पनी लि. के प्रबंध निदेशक का पद संभाला है. 38 वर्षीय संजय अग्रवाल ने अपने करियर की शुरुआत वैशाली के एसडीओ के बतौर की थी. उसके बाद वह 2005 में पटना के डीडीसी बनाये गये. जबकि वह 2006 में जहानाबाद और 2007 में नालंदा के डीएम भी रहे.

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