पटना के 83 प्रतिशत वाहन उड़ा रहे हैं Pollution Control कानून की धज्जिया

पटना के 83 प्रतिशत वाहन उड़ा रहे हैं Pollution Control कानून की धज्जियां

पटना, 23 दिसंबर : शहर में प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित ‘पॉल्युशन अंडर कंट्रोल’ (पीयूसी) सर्टिफिकेट की प्रक्रिया के वर्तमान स्वरूप में सुनियोजित ढंग से आमूलचूल बदलाव की जरूरत है, क्योंकि यह क्रियान्वयन और अनुपालन में अप्रभावी साबित हो रही है। सीड के अध्ययन के दौरान प्रदूषण नियंत्रण के लिए टेस्ट किये गये पटना के 70 प्रतिशत डीजल ईंधन आधारित वाहन (जिनमें मुख्यतः सार्वजनिक बसें, वाणिज्यिक इस्तेमाल में आ रही टैक्सी और ऑटो शामिल हैं) के पास ‘पीयूसी सर्टिफिकेट’ नहीं है.
चिंताजनक बात यह है कि जिन वाहनों के पास ‘पीयूसी’  ( Pollution Control Certificate)  प्रमाणपत्र हैं, उनमें से 83 प्रतिशत के पास या तो गलत तरीके से जुटाई गयी सर्टिफिकेट है या प्रदूषण नियंत्रण संबंधी उनकी स्थिति पर सवाल खड़ेकिये जा सकते हैं।
यहां तक कि 24 प्रतिशत पेट्रोल चालित वाहन, जिनमें से मुख्यतः निजी वाहन या व्यक्तिगत उपयोग के वाहन हैं, उनके पास भी ‘पीयूसी सर्टिफिकेट’ नहीं है। ये तथ्य और ऐसे अन्य चिंताजनक निष्कर्ष, जिनका शहर की वायु गुणवत्ता को खराब करने में सीधा असर पड़ता है, सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की एक स्टडी1 में आये हैं, जिसे पटना ट्रैफिक पुलिस के लिए गत जून, 2018 में किया गया।

Pollution Control Programme

यह स्टडी-रिपोर्ट ‘एसेसमेंट ऑफ वेहिकल्स कॉम्पल्यांस विथ द पीयूसी प्रोग्राम इन पटना’ (पटना में पीयूसी कार्यक्रम के अनुपालन से संबंधित वाहनों की जांच-पड़ताल) दो दिन किये गये ‘ऑन रोड पीयूसी टेस्ट ड्राइव’ पर आधारित है, जिसे सीड ने पटना ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से पूरा किया। ये पीयूसी टेस्ट सर्टिफाइड एजेंसी के साथ मिल कर पटना शहर के प्रमुख चौक-चौराहों व प्रमुख पथों जैसे गांधी मैदान, अशोक राजपथ, पटना-दानापुर रोड, बेली रोड, हार्डिंग रोड और कंकड़बाग रोड आदि पर किया गया। इस दौरान प्रदूषण उत्सर्जन की जांच के लिए जिन उपकरणों का इस्तेमाल किया गया, उनमें डीजल गाड़ियों के लिए ‘डीजल स्मोक मीटर’ और पेट्रोल चालित वाहनों के लिए ‘4-गैस एनालाइजर’ प्रमुख थे।
इस अध्ययन के नतीजों के बारे में विस्तार से बताते हुए सीड की सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर सुश्री अंकिता ज्योति ने कहा कि ‘‘शहर में पीयूसी प्रक्रिया का क्रियान्वयन बेहद खराब स्तर पर है, वहीं सड़क पर बड़ी संख्या में वैसे वाहन भी बिना किसी रोकटोक के चल रहे हैं, जिनका जीवनकाल या तो समाप्त हो गया है या वे समाप्ति की कगार पर हैं और परिणामस्वरूप इन वजहों से पटना में वायु गुणवत्ता की दशा बदतर होती जा रही है। अध्ययन के दौरान यह देखना वाकई आश्चर्यजनक था कि जांच किये गये सभी वाहनों में से 16 प्रतिशत वाहन दस साल पुराने या इससे अधिक समय के थे और वे सड़कों पर अब भी चल रहे हैं।
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हमारी रिपोर्ट 2 में शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट की खराब स्थिति को मुख्य तौर पर रेखांकित किया गया है। अध्ययन में जांच की गयी अधिकतर बसों के पास पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं था और वे ‘ऑन रोड पीयूसी टेस्ट’ में भी फेल साबित हुईं। यही नहीं, टेस्ट की गयीं सभी बसों में से 35 प्रतिशत के पास जरूरी उपकरण, जैसे पीयूसी टेस्ट के लिए ‘अल्टेरनेटर’ आदि, नहीं था। हमने यह भी पाया कि अधिकतर वाहनों को बिना समुचित भौतिक परीक्षण व जांच के गलत तरीके से पीयूसी सर्टिफिकेट दे दिया गया, जो पूरी प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े करता है।’’
इस स्टडी-रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशों के बारे में बताते हुए सीड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्री रमापति कुमार ने कहा कि ‘‘पटना शहर में पीयूसी टेस्ट के क्रियान्वयन और अनुपालन स्तर से जुड़ी गंभीर चिंताएं सामने आयी हैं। पीयूसी प्रमाणपत्र की प्रक्रिया को ज्यादा बेहतर व प्रभावी बनाने के लिए इसमें सुनियोजित ढंग से आमूलचूल बदलाव की आवश्यता है। पीयूसी सेंटर का न केवल समुचित ऑडिट होना चाहिए, बल्कि इसके सिस्टम में गड़बड़ियों को खत्म करने के लिए जुर्माना व दंड आदि को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। ट्रैफिक डिपार्टमेंट में क्षमता वर्द्धन और प्रदूषण उत्सर्जन के औचक निरीक्षण के लिए ‘फ्लाइंग इंस्पेक्टर’ होने चाहिए, जो वाहन चालकों में समुचित पीयूसी सर्टिफिकेट रखने की आदत को प्रोत्साहित करें और इससे संबंधित अनुशासनात्मक कार्रवाई को नियमित रूप से लाग करें। अपने जीवनकाल से ज्यादा चल रहीं सभी पुरानी गाड़ियों को तत्काल सड़क से हटाया जाये, क्योंकि पटना में उच्च प्रदूषण स्तर और खराब एयर क्वालिटी के लिए ये मुख्य रूप से दोषी हैं।’’
सीड की रिपोर्ट पीयूसी डाटा के ट्रांसमिशन के लिए एक ऑनलाइन नेटवर्क की स्थापना की सिफारिश करती है, ताकि अनावश्यक हस्तक्षेप व गड़बड़ियों को कम किया जा सके। साथ ही यह पीयूसी सेंटर्स की समुचित निगरानी व नियमित निरीक्षण तंत्र विकसित करने पर बल देती है और एक लोक शिकायत केंद्र स्थापित करने की भी सलाह देती है, ताकि प्रदूषण फैलानेवाले वाहनों के दिखने पर कोई व्यक्ति या संस्था वहां शिकायत दर्ज करा सके। इसके अलावा सीड राज्य सरकार से यह भी अपील करती है कि अविलंब पुराने पड़ चुके वाहनों को सड़क पर से हटाने के लिए वह कानून लाकर उसका क्रियान्वयन करे तथा शहर में एक बेहतर परिवेशी वायु गुणवत्ता कायम करने के लिए स्वच्छ ईंधन और सख्त उत्सर्जन मापदंडों से जुड़ी एक ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत कर लागू करे।

By Editor