पटना का मास्‍टर प्‍लान जमीन के धंधे से जुड़े लोगों को मालामाल करेगा, जबकि किसानों की बदहाली बढ़ जाएगी। मास्‍टर प्‍लान के तहत आने वाले गांवों की समस्‍याएं बढ़ जाएंगी। जमीन के दलाल एकड़ में जमीन खरीदेंगे और फीट में बेचेंगे। वक्‍ताओं ने मास्‍टर प्‍लान की अवधारणा को नकार नकारते हुए कहा कि यह कैसा प्‍लान है कि अगस्‍त 2014 में घोषित प्‍लान में 2001 की जनगणना पर योजनाएं निर्धारित की गयी हैं।nidan

नौकरशाहीडॉटइन डेस्‍क

 

पटना के मास्‍टर प्‍लान पर एनआईअी और निदान के संयुक्‍त तत्‍वावधान में आयोजित कार्यशाला में वक्‍ताओं ने कहा कि प्‍लान में लोगों की मूलभूत जरूरतों पर ध्‍यान नहीं दिया गया। सभा को संबोधित करते हुए विशेषज्ञ संजय विजयवर्गीय ने कहा कि लोग गांवों से पलायन कर शहरों की ओर रोजगार की तलाश में आते हैं, लेकिन मास्‍टर प्‍लान में रोजगार की संभावनाओं पर चर्चा नहीं हुई है। मास्‍टर प्‍लान के तहत 558 गांवों को अधिग्रहित करने की बात कही जा रही है। लेकिन इन गांवों में रहने वाले की जीविका का कोई आधार नहीं है।

 

इस कार्यशाला में विशेषज्ञ एस मौर्या, डॉ विवेकानंद, केआरसी सिंह ने मास्‍टर प्‍लान की तकनीकी पक्षों पर विस्‍तृत चर्चा की और इसमें आने वाली परेशानियों की पड़ताल भी की। भूजल के दोहन से होने वाली समस्‍याओं पर भी प्रकाश डाला। वक्‍ताओं ने कहा कि राजधानी में बसी स्‍लम बस्तियों को लेकर प्‍लान में कोई प्रावधान नहीं है। विधायक अरुण सिन्‍हा ने कहा कि मास्‍टर प्‍लान में हाजीपुर को शामिल किया जाना चाहिए। इसका राजनीतिक असर भी सकारात्‍मक होगा। उत्‍तर बिहार के लोगों की संवेदनाएं भी जुड़ेंगी। उन्‍होंने कहा कि कार्यशाला की संक्षिप्‍त विवरण का हिंदी के भी प्रकाशित करें, ताकि आम लोगों को समझाया जा सके।

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