राज्‍य सरकार मंत्रियों, विधायकों व अन्‍य महत्‍वपूर्ण पदधारकों की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी नियु‍क्‍त करती है। सुरक्षाकर्मियों की संख्‍या व्‍यक्ति व पद के महत्‍व व गरिमा के अनुकूल दी जाती है। सामान्‍य तौर पर यह संख्‍या एक से तीन तक होती है। बिहार में सबसे अधिक सुरक्षा कर्मी मंत्रियों के लिए प्रतिनियुक्‍त होते हैं। इसमें 18 पुलिसकर्मी तैनात होते हैं। इसमें 4 स्‍पेशल ब्रांच के होते हैं। इस प्रतिनियुक्ति में जाति का खास का ख्‍याल रखा जाता है, हालांकि इसके लिए कोई लिखित आदेश नहीं है।

मंत्रियों के लिए प्रतिनियुक्‍त पुलिसकर्मियों के संबंध में प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, संबंधित मंत्री अपनी जाति और वर्ग का विशेष ध्‍यान रखते हैं। उहाहरण के लिए भूमिहार मंत्री अपनी सुरक्षा टीम में भूमिहार को प्राथमिकता देते हैं। इस दायरे से बाहर निकलने की नौबत आयी तो वह राजपूज या ब्राह्मण पुलिस कर्मी को पसंद करते हैं। लेकिन भूमिहार मंत्री के लिए यादव पुलिस कर्मी वर्जित माने जाते हैं। यही स्थिति ब्राहृमणों की है। उनकी प्राथमिकता में ब्राह्मण ही होते हैं। इसके बाद वह राजपूत या भूमिहार पसंद करते हैं। लेकिन यादव को लेकर वर्जना जैसी कोई बात नहीं है। राजपूतों की स्थिति इससे कुछ इतर है। उनकी पहली प्राथमिकता राजपूत होते हैं और राजपूत नहीं मिले तो भूमिहार या ब्राह्मण की तुलना में यादव को अधिक पसंद करते हैं।

 

पिछड़ों की तीन प्रमुख पिछड़ी जातियों में कुर्मी ज्‍यादा जाति को लेकर आग्रही होते हैं। कुर्मी के बाद वह कुशवाहा जवान को ज्‍यादा पंसद करते हैं। भूमिहार की तरह कुर्मी भी यादव को दूर रखना चाहते हैं। कुशवाहा मंत्री कुशवाहा के बाद पासवान को जयादा पंसद करते हैं। हालांकि यादव को वह वर्जित नहीं मानते हैं। यादव मंत्री यादव के बाद पासवान व अन्‍य अनुसचित जाति के पुलिसकर्मियों को पसंद करते हैं। हालांकि यादव मंत्री सवर्ण पुलिसकर्मियों से परहेज ही करते हैं। अन्‍य पिछड़ी व अनुसूचित जाति के मंत्रियों के लिए अपनी जाति के अलावा पासवान और यादव पुलिस कर्मी प्राथमिकता में रहते हैं। इसके अलावा पिछड़ी व दलित जातियों से भी कोई परहेज नहीं है। मुसलमान मंत्री की सुरक्षा टीम में मुसलमान या यादव पुलिसकर्मी अधिक मिल जाएंगे। मुसलमान पुलिसकर्मी की पहली पंसद मुसलमान मंत्री होते हैं। इसके बाद पिछड़े या दलित। वह भी सवर्ण मंत्रियों के साथ अटैच होना नहीं चाहते हैं।

 

इतना स्‍पष्‍ट है कि अनुसूचित जाति के मंत्रियों की सुरक्षा टीम में सवर्ण जाति के पुलिसकर्मी नहीं‍ मिलेंगे। उसी तरह सवर्ण मंत्रियों की सुरक्षा टीम में अनुसूचित जाति के पुलिसकर्मी नहीं मिलेंगे। यह बात सिर्फ मंत्रियों तक सीमित नहीं हैं। जिन्‍हें भी सुरक्षा मुहैया करायी जाति है, उनमें यह सामान्‍य प्रवृत्ति पायी जाती है। इसके लिए कोई लिखित नियम नहीं है। कई बार मं‍त्री खुद एसपी को निर्देश देते हैं या एसपी भी इस प्रवृत्ति को समझते सुरक्षाकर्मियों की प्रतिनियुक्ति में जाति का ख्‍याल रखते हैं।

By Editor

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