पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा में पराजय के बाद अब मजदूरी के लिए विलाप करते फिर रहे हैं। उनकी पीड़ा इस बात को लेकर है कि उनके काम का उचित मुआवजा जनता ने नहीं दिया। शनिवार को मधुबनी में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा कि राजनीति में कभी भी नफा-नुकसान की चिंता हमने नहीं की़, बहुत कुछ पा लिया। अब कुछ पाने की लालसा नहीं है़। अब आत्मचिंतन कर रहा हूं।

 

उन्होंने उदास मने से कहा कि  लोगों ने जब राज्य की सेवा का अवसर दिया, तो जेपी और लोहिया के बताये रास्ते का अनुकरण करते हुए काम किया़। महिलाओं को बराबरी का हक देते हुए पंचायती राज व्यवस्था व शिक्षक नियोजन में 50 फीसदी का आरक्षण दिया। लड़कियों को शिक्षित करने के लिये पोशाक और साइकिल दी़  जब हमने बिहार के लोगों से इस काम के बदले मजदूरी मांगी तो हमें उचित मजदूरी नहीं मिली़।  हमें लगता है कि शायद विश्वास की कमी रही़। उन्होंने कहा कि  मैं कभी भी सिद्धांत से समझौता नहीं कर सकता। भाजपा और जदयू वर्षो तक एक साथ रहे, लेकिन जब हमें लगा कि उनका रास्ता अलग होता जा रह है तो हमने सिद्धांत का साथ दिया और संबंध को तोड़ लिया।

 

नीतीश कुमार ने कहा कि आज देश में नफरत फैलाया जा रहा है। देश गलत लोगों के हाथ में है। भ्रम फैलाने वाले लोग सक्रिय हैं।  इसका सिरमौर बन कर दिल्ली की गद्दी पर ऐसे लोग बैठे हुए हैं, जिनके पूर्वजों का देश की आजादी की लड़ाई से कोई सरोकार नहीं था। हमें देश की आजादी और अखंडता की चिंता है़  हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों की आहुति देश के लिये दी थी।

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