एम.एल.हबीबुल्लाह

विकलांगजन देश के लिए मूल्य वान संसाधन हैं.उनके लिए ऐसा वातावरण बनाने की ज़रूरत है जिसमें उन्हेंर समान अवसर मिल सके, उनके अधिकारों की रक्षा हो सके तथा समाज में पूरी सहभागिता सुनिश्चित की जा सके.

3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीसय विकलांगजन दिवस मनाया जाता है.इसकी शुरूआत 1981 में हुई थी. इस दिवस का उद्देश्या विकलांग लोगों से जुड़े मुद्दों को बेहतर तरीके से समझने को बढ़ावा देना तथा उनके अधिकारों पर ध्या्न देना और उन्हेंं राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृदतिक जीवन के हर क्षेत्र में सम्मिलित करना है.

विकलांगजनों की समाज में पूरी और प्रभावकारी सहभागिता तथा विकास के उद्देश्य को विकलांगजनों से जुड़े विश्वम कार्रवाई कार्यक्रम में स्था पित किया गया था। इसे संयुक्ति राष्ट्रर की आम सभा ने 1982 में अपनाया था.

2006 में विकलांगजनों के अधिकार पर हाल के एक समझौते के ज़रिए इसे और मज़बूत किया गया है. भारत ने 30 मार्च, 2007 को संयुक्तत राष्टक समझौते पर हस्ता्क्षर किए थे.

भारत के संविधान के अनुच्छेकद 41 और 46 में भी विकलांजनों के समग्र विकास पर ज़ोर दिया गया है. विलांगजनों को इन श्रेणियों में रखा गया है- दृष्टि विकलांग; अस्थि विलांग (लोकोमोटर-विकलांगता); श्रवण विकलांग (बधिर और मूक) तथा उपचारित कुष्ठ रोग है.

अलावा सामाजिक न्याय मंत्रालय ने विकलांगों की सहायता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड के देहरादून में दृष्टिबाधितों के लिए राष्ट्रीय संस्थान, पश्चिम बंगाल के कोलकाता में अस्थि विकलांगों के लिए राष्ट्रीय संस्थान, आंध्र प्रदेश के सिकंदराबाद में मानसिक विकलांगों के लिए राष्ट्रीय संस्थान और महाराष्ट्र के मुंबई में श्रव्य बाधितों के लिए अली यावर जंग राष्ट्रीय संस्थान जैसे राष्ट्रीय स्तर के चार संस्थानों की स्थापना की है.

राष्ट्रीय स्तर के चार संस्थानों के अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने शारीरिक रुप से विकलांग वर्ग के पूरी तरह से इलाज के लिए तीन राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की है. ये तीन संस्थान इस प्रकार हैं- कर्नाटक राज्य के मैसूर में स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग, कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज और तमिलनाडु के चेंगलपेट जिले के थरमनि में स्थित सेंट्रल लेपर्सी ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट .

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने मानसिक रुप से बीमार व्यक्तियों के लिए तमिलनाडु के मुत्थुक्कडु में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द मल्टीपल हैंडीकैप्ट की स्थापना की है. इसके अलावा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नेशनल हैंडीकैप्ड फाइनेंस डिवलपमेंट कॉरपोरेशन नाम से एक निगम की स्थापना भी की गई है जो विकलांग व्यक्तियों के स्वरोजगार के लिए ऋण मुहैया कराता है.

1981 में विकलांग व्यक्तियों के लिए अंतरराष्ट्रीय वर्ष के अवसर पर सामाजिक कल्याण मंत्रालय ने गरीब विकलांग व्यक्तियों को उनकी ज़रुरत के मुताबिक उपकरणों के वितरण की योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत, आर्थिक रुप से गरीब विकलांग व्यक्तियों को निःशुल्क व्हील चेयर, क्रचेस, मोटरीकृत ट्राई साइकिल और सामान्य ट्राई साइकिल, कृत्रिम अंग, सुनने के उपकरण, शैक्षणिक सामग्री, ब्रेल घडियां आदि मुहैया कराई जाती हैं.

विश्व विकलांगता दिवस हर वर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। इस अवसर पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति द्वारा विकलांग कर्मियों और नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए उत्कृष्ट विकलांग कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं को पुरस्कार प्रदान किया जाता है.
आत्मविश्वास और अथक प्रयासों से विकलांग व्यक्तियों ने यह सिद्ध किया है कि विकलांगता का अर्थ असमर्थता नहीं है.

By Editor