इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन

जनाब हाफिज मोहम्मद सईद साहब!

आप को हैरत हो सकती है कि आप जैसे आतंकवादी को हमने “जनाब” जैसे सम्मान सूचक शब्द से संबंधित किया.लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं भारत जैसे सभ्य समाज ने जो मुझे संस्कार दिये हैं उसमें हम आपके लिए ओछे शब्द का उपयोग नहीं कर सकते.

आप लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी हैं. जमातुदावा के अमीर. आप की हरकतें हमें सिर्फ इसलिए दुखी नहीं करतीं कि आप ने मुम्बई में हमला और धमाके किये. हमारे भाइयों की जानें ली.13 दिसम्बर 2001 को हमारी लोकसभा, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतीक है, पर आक्रमण किया. यह वही लोकसभा है जो दुनिया के किसी भी देश के अल्पसंख्यकों को मिलने वाले अधिकारों से ज्यादा अधिकार अपने अल्पसंख्यकों को देती है. हम इसलिए भी आपको नफरत भरी नजरों से देखते हैं कि आप हमारे देश को तोड़ना चाहते हैं. कश्मीर को हम से छीनने की कसमें खाते हैं.

लेकिन आपने तो आज हदें पार कर दीं. आपने हिंदुस्तानी फिल्मों के सुपरस्टार शाहरुख खान को पाकिस्तान आ बसने की दावत दे कर अपनी नीचता और नंगेपन को और उजागर कर दिया है. आखिर आपने ऐसी जुरर्त की ही क्यों ?

क्या आपको याद नहीं कि आप भारते से भागे हुए मुहाजिर की संतान हैं. आपके वालिद कमालुद्दीन हरियाणा से 1947 में भाग कर पाकिस्तान चले गये थे. आपके बाप-दादा पंजाब के सरगोधा से ताल्लुक रखते थे.भारते असली मुसलमान आज भी भारत में हैं.और आपके देश से ज्यादा आजाद, ज्यादा सुकून और ज्यादा लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ जी रहे हैं.

ऐसे में आपको पता है कि एक मुहाजिर की पाकिस्तान में क्या स्थिति है.भारत से पाकिस्तान गये मुहाजिरों को आप के देश, जिसका नागरिक होने का आप दावा करते हैं, आज तक अपना न बना सका. मुहाजिरों के लीडर अल्ताफ हुसैन को आपके इसी देश ने पाकिस्तान से भागने पर मजबूर कर दिया. यहां से आप जैसे खानदान के लोगों के बहकावे में आकर, पाकिस्तान गये लोगों को आज भी आपका देश दोयम दर्जे का नागरिक मानता है.हद तो यह है कि पाकिस्तान की सरजमीन पर जन्म लेने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ आपके देश का बरताव इतना घिनावना है कि आप को हमें मुसलमान कहने में भी शर्म आती है.

हां शाह रुख का यह कहना काफी हद दक सही है कि उन्हें अफसोस होता है जब लोग मुसलमान होने पर उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं. पर ऐसी फूहड़ मानसिकता के लोग हर समाज में होते हैं. आखिर ऐसे लोगों ने ही तो बापू की हत्या की थी. ऐसे लोगों से हमारे देश का सेक्यूलर हिंदू और मुस्लिम निपटने का हुनर जानता हैं.

हाफिज सईद साहब मत भूलिए कि आपके देश में शिया-सुन्नी के फसाद में
जितने मुसलमानों की हर साल जान जाती है, उतने मुसलमानों की जान
हिंदू-मुस्लिम दंगों में भी नहीं जाती. क्या आपको यह सच नही मालूम?
आपकी मस्जिदों में आपके लोग मुस्लिम भाइयों को नमाज पढ़ते हुए गोलियों
से भून देते हैं. ऐसा तो भारत में नहीं होता

आप किस मुसलमान और किस पाकिस्तान की बात करते हैं? आपके देश में शिया-सुन्नी के फसाद में जितने मुसलमानों की हर साल जान जाती है, उतने मुसलमानों की जान हिंदू-मुस्लिम दंगों में भी नहीं जाती. क्या आपको यह सच नही मालूम? आपकी मस्जिदों में आपके लोग मुस्लिम भाइयों को नमाज पढ़ते हुए गोलियों से भून देते हैं. ऐसा तो भारत में नहीं होता. हां, हम स्वीकारते हैं कि कुछ साम्प्रदायिक किस्म के लोग भारत में उन्माद फैलाते हैं और दंगे होते हैं. पर भारत का आम नागरिक आपके देश के आम मुसलमान से ज्यादा अमन पसंद हैं. आप गोलियों से मरने वालों के सरों को गिनने के आदी हैं तो आंकड़ें देखें. पता चल जायेगा.

जहां तक आपकी बात है, आपकी हालत इतनी बददतर है कि आप पाकिस्तान में छुप-छुप कर रहते हैं. अमेरिका ने आपके सर पर 25 मीलियन डॉलर का इनाम रखा है. संयुक्त राष्ट्र ने आपको आतंकवादी घोषित कर रखा है. आप पाकिस्तान के पहाड़ी इलाकों में छुप कर जीवन बिताते हैं. ऐसे में शाहरुख जैसे माहान हस्ती को पाकिस्तान आ कर बसने की दावत देना आपके दोगले चरित्र को दर्शाता है. जब आपके साथ गये मुहाजिरों का लीडर ही सालों साल तक पाकिस्तान से भाग कर यूरोप में पनाह लेने पर मजबूर हो तो आप क्या खाक भारत के किसी मुसलमान को पनाह देंगे.

आप कश्मीर को भारत से छीनने की बात करते हैं. और साथ ही मुसलमानों की मसीहाई का दावा भी करते हैं. क्या आपको याद नहीं कि एक बार भारत को तोड़ने की कीमत भारतीय उपमाहादीप के लोगों ने किस तरह अदा की? आप अगर भूल गये हैं तो जान लीजिए कि दो लाख से ज्यादा लोगों की जानें गईं. मजहब के आईने में सर गिनने की आदत अगर आपको है तो, आप गिनिये कि कितने मुसलमान और कितने हिंदू मारे गये. हम तो यह गिनते हैं कि कितने इंसानों की जानें गईं. यह अलग बात है कि भारत को तोड़ने में, जितने पाकिस्तान की मांग करने वाले कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना दोषी थे, उतने ही दोषी नेहरू और पटेल भी थे, पर वह इतिहास की बातें हैं. वर्तमान यह है कि आप भारत के मामलों में दखल देने के बजाये अपनी जान की सलामती के दिन गिनिये.

सच्चाई यह भी है कि भारत को आप जैसे आतंकवादी का सर चाहिए.हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब आप के गिरेबान पर भारत का हाथ होगा. तब हम, भारतीय सरकार से यह आग्रह करेंगे कि आप को भारतीय मुसलमानों के हवाले कर दिया जाये, क्योंकि आप भारत के जितने बड़े दुश्मन हैं, उससे बड़े दुश्मन भारतीय मुसलमानों के हैं. क्योंकि आपकी एक एक हरकत का शिकार भारतीय हिंदुओं से ज्यादा भारतीय मुसलमानों को होना पड़ता है. हम यह चाहते हैं कि आपको इस्लामी उसूलों के तहत ही फांसी दी जाये ताकि दुनिया देखे कि आप इस्लमा के नाम और उसकी पाकीजगी के दामन पर बदुनामा दाग हैं. हम यह जानते हैं कि भारत सरकार गिरफ्तार करने के बावजूद आप को मुसलमानों के हवाले नहीं करेगी क्योंकि यहां कानून का राज है. फिर भी हम आग्रह करेंगे कि आपको फांसी से कम की सजा दी ही न जाये.

हाफिज मोहम्मद सईद साहब. आप बाज आइए.भारत के मुसलमानों के गम में लाल-पीले होने के बजाये पाकिस्तान की मस्जिदों में शहीद किये जा रहे मुसलमानों की चिंता करके कुछ सुधार ला सकते हैं तो लाइए. बस.

By Editor

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