कांग्रेस में जाएंगे कन्हैया, ये हैं तीन कारण, गरमाएगा बिहार

देशभर में पीएम मोदी, संघ व भाजपा के खिलाफ अभियान चलानेवाले तेजतर्रार युवा नेता कन्हैया कांग्रेस में जाएंगे। ये हैं तीन कारण। बिहार की राजनीति पर पड़ेगा असर।

कुमार अनिल

अब लगभग तय माना जा रहा है कि जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल होंगे। उनकी कांग्रेस नेताओं से बात हुई है और संभावना जताई जा रही है कि वे जल्द ही राहुल गांधी से मिलेंगे। पत्रकार आदेश रावल ने ट्वीट किया है- कन्हैया कुमार जल्द ही कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक सचिव उनके सम्पर्क में हैं।

कन्हैया कुमार के कांग्रेस में जाने से बिहार की राजनीति गरमाएगी। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और कन्हैया एक मंच पर आते हैं, तो बिहार में एनडीए की चुनौती बढ़ेगी।

कन्हैया के कांग्रेस में जाने की तीन वजहें हो सकती हैं। पहला, अब देश में कांग्रेस ही संघ-भाजपा की राजनीति का मुकाबला करती दिख रही है और इसीलिए युवाओं का आकर्षण कांग्रेस के प्रति बढ़ा है। दूसरी वजह यह हो सकती है कि सीपीआई का ढांचा और कार्यशैली ऐसी है, जिसमें वह ऐसे तेजतर्रार नेता को साथ रखने में विफल रही और तीसरा, कन्हैया महत्वाकांक्षी नेता हैं और कांग्रेस ने उन्हें कोई बड़ा पद देने का वादा किया हो।

इन तीन कारणों में तीसरा कारण ज्यादा मजबूत नहीं दिखता। सिर्फ पद के लिए कन्हैया अगर जाते, तो उनके पास नीतीश कुमार के साथ जाना ज्यादा लाभकारी होता। वे बिहार में मंत्री भी बन सकते थे। इसीलिए पहले दो कारण ज्यादा महत्वपूर्ण प्रतीत होते हैं।

कांग्रेस के प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ संघर्ष में एक निरंतरता दिखती है। 2019 में चौकीदार चोर है से लेकर आज के दौर में पेगासस, महंगाई, कोविड, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार आवाज उठा रही है। युवा कांग्रेस ने कांग्रेस के तेवर तेज किए हैं। कांग्रेस अब संसद से सड़क तक दिखती है। तो क्या कांग्रेस के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ा है?

दूसरी वजह सीपीआई के ढांचे और कार्यशैली को लेकर है। उसका ढांचा और उसकी कार्यशैली ऐसी है, जिसमें नेताओं पर पार्टी का नियंत्रण ज्यादा होता है और नेता खुलकर कोई प्रयोग नहीं कर सकता। एक उदाहरण दिया जा सकता है जब ज्योति बसु के प्रधानमंत्री बनने को लेकर देश के सारे विपक्षी दल सहमत थे, तब सीपीएम ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।

वहीं सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक अनीस अंकुर सीपीआई की किसी समस्या को खारिज करते हैं। कहा, कन्हैया को पार्टी ने बेगूसराय से टिकट दिया, जबकि वहां कई पुराने नेता थे। कन्हैया को बहुत कम समय में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया।

चलिए, कन्हैया अगर कांग्रेस में जाते हैं, तो उसके पीछे की वजहों पर बहस जारी रहेगी, लेकिन यह बात तय है कि कांग्रेस की ताकत बढ़ेगी। उसे यूपी चुनाव में भी फायदा होगा। भविष्य में बिहार की राजनीति भी गरमाएगी। बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार अगर समन्वय बनाकर काम करते हैं, तो दोनों बिहार में एनडीए के लिए मुश्किल पैदा करेंगे। इन दोनों का जवाब देने के लिए फिलहाल जदयू-भाजपा में ऐसे युवा नेता नहीं दिख रहे। देखिए, आगे होता है क्या?

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