गुजरात विधान सभा में चुनाव कैंपेन के दौरान जीएसटी में कटौती के प्रचार पर चुनाव आयोग सख्‍त है. इसको लेकर आज आयोग ने कहा कि हाल ही में 178 वस्तुओं पर लगने वाले कर में कटौती के फैसले का प्रचार-प्रसार न किया जाए. आयोग का मानना है कि इससे वोटरों को प्रभावित किया जा सकता है. 

नौकरशाही डेस्‍क

गौरतलब है कि जीएसटी का गुजरात के व्यापारियों ने जम कर विरोध किया था. साथ ही कई लोगों ने बढ़ती महंगाई की वजह से भी केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया था. इसके बाद नवंबर माह में जीएसटी परिषद की बैठक में 178 चीजों के टैक्स में कटौती कर दी गई थी. जिसके बाद केवल 57 चीजें ही ऐसी बचीं, जो 28 फीसदी टैक्स स्लैब में आती हैं.

जानकारों का कहना था कि जीएसटी के कारण भाजपा को चुनाव में नुकसान झेलना पड़ता, इसलिए चुनाव ऐ ऐन पहले ही केंद्र की मोदी सरकार ने ये फैसला लिया था. इससे पहले कांग्रेस उपाध्‍यक्ष ने जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला था. वहीं, जीएसटी में कटोती के बाद भाजपा इस फैसले को गुजरात के विधान सभा चुनाव में भुनाने में लगी हुई थी. मगर, चुनाव आयोग ने ये बड़ा आदेश दिया कि जीएसटी में कटौती का प्रचार चुनाव के दौरान नहीं किया जाये. आयोग का मानना है कि हालांकि सरकार बिना किसी ख़ास वस्तु या सेवा का नाम लिए टैक्स को आसान बनाने की प्रक्रिया के बारे में बता सकती है.

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