IPS अधिकारी ने बताई वजह, क्यों सरकार ने उन्हें जेल दिया

IG के पद से अवकाश ग्रहण करनेवाले पूर्व आईपीएस ने बताई वजह, क्यों उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें तीन हफ्ते जेल में रखा। वे किसान आंदोलन से भी जुड़े हैं।

कुमार अनिल

उत्तर प्रदेश के पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने नौकरशाही डॉट कॉम से विशेष बातचीत में बताया कि शाहीनबाग आंदोलन तो एक बहाना था, दरअसल वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आदिवासियों को संगठित कर रहे हैं। मुख्य मांग है जमीन। सरकार उन्हें उनकी जमीन से बेदखल करने की कोशिश करती है और हम विरोध करते हैं। दारापुरी आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। इसी संगठन के जरिये वे आदिवासियों को संगठित कर रहे हैं।

दारापुरी ने कहा- मिर्जापुर, सोनभद्र, नवगढ़, चंदौली इलाके के आदिवासी परेशान हैं। 2017 में उनकी बेदखली शुरू हुई, तो हमने आदिवासियों को संगठित किया। कोर्ट गए। आज भी वनाधिकार की लड़ाई जारी है। हमारे इस आंदोलन से आरएसएस का आदिवासियों के हिंदूकरण का अभियान बाधित हो गया। इससे भाजपा नाराज हुई और मुझे झूठे मुकदमे में जेल में डाल दिया गया।

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दारापुरी ने बताया कि वे सीएए विरोधी आंदोलन के साथ थे, पर जिस घटना से मुझे जोड़ा गया, उसमें वे शामिल नहीं थे। उन्हें 20 दिसंबर, 2019 से 7 जनवरी, 2020 तक जेल में रहना पड़ा। अपराधियों के साथ जेल में रखा गया। 20 से ज्यादा लोगों को आरोपित बनाया गया है। सबको 64-64 लाख रुपए जमा करने का फरमान भी दिया गया है। कहा गया कि हजरतगंज में तोड़फोड़ से 64 लाख का नुकसान हुआ। लेकिन सभी लोगों को 64-64 लाख का जुर्माना लगाया गया। हम इसके खिलाफ कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

दारापुरी ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार सारे सरकारी उपक्रम बेच रही है। इस तरह आरक्षण से वंचित करने की कोशिश की जा रही है।

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दारापुरी लंबे समय से मजदूर-किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका संगठन देशभर में चल रहे किसान आंदोलन से भी जुड़ा है। जब उत्तर प्रदेश में मजूदरों के काम के घंटे बढ़ा दिए गए, तो इसके खिलाफ भी उन्होंने आवाज उठाई। बताते हैं-कोर्ट गए और इस आदेश को वापस कराया।

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