माले से सीखें दूसरे दल, आफरीन मामले में दिखाई राह

भाकपा माले छोटी पार्टी है, लेकिन उसने बड़ा साहस दिखाया। आफरीन का घर ढाहने के खिलाफ जब कई दल ट्विटर तक सीमित हैं, तब वह दिल्ली में सड़क पर उतरा।

यूपी में एक्टिविस्ट आफरीन फातिमा का घर ढाहने के खिलाफ सोशल मीडिया पर तो कई दल विरोध जता रहे हैं, लेकिन छोटी पार्टी होते हुए भी भाकपा माले ने बड़े दलों को राह दिखाई है। कल माले ने इसी मुद्दे पर कोलकाता में प्रदर्शन किया था और आज दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन किया। कल ही जेएनयू के छात्रों ने भी दिल्ली में प्रदर्शन करके आफरीन का घर बुलडोजर से ढाहने के खिलाफ आवाज उठाई थी।

माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कल ही दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने का एलान किया। आज सैकड़ों की संख्या में छात्र संगठन आइसा और माले से जुड़े अन्य कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में सीपीएम से जुड़े छात्र संगठन एसएफआई तथा अन्य वाम दलों के लोग भी शामिल थे। बाद में सबों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। छात्र-युवा भाजपा का बुलडोजर राज खत्म करो का नारा लगा रहे थे। इस बीच दिल्ली में यूपी भवन के सामने भी प्रदर्शन की खबर है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार आफरीन और उनके पिता मोहम्मद जावेद का घर ढाहने के खिलाफ भारत के बाहर भी विरोध के स्वर सुनाई पड़े हैं।

इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने जिस तरह खुल कर आफरीन का घर ढाहने को गैरकानूनी बताया है, उसकी भी सराहना की जा रही है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोविंद माथुर ने कहा है कि प्रयागराज में मोहम्मद जावेद का घर गिराना पूरी तरह से गैरकानूनी है। कहा, “यहां कोई तकनीकी मामला नहीं है, यह कानून का सवाल है। सोशल मीडिया पर लगातार लोग आफरीन के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं, वहीं कई यूजर्स ने विपक्षी दलों के सड़क पर उतर कर विरोध नहीं करने की आलोचना भी कही है।

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