न्यूजक्लिक पर छापा : सच के सिपाही रवीश ने कही बड़ी बात

न्यूजक्लिक पर ईडी का छापा जारी है। देश के चर्चित पत्रकार रवीश ने बताया इस छापे का मतलब। जानिए इतिहासकार इरफान हबीब और पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा ने क्या कहा।

कुमार अनिल

न्यूज क्लिक एक ऑनलाइन मीडिया संस्थान है, जो हर प्रगतिशील आंदोलन की आवाज बनकर उभरा है। न्यूजक्लिक लगातार देश में चल रहे किसान आंदोलन की ग्राउंड रिपोर्ट करता रहा है। किसानों को देशद्रोेही बताने और दूसरे तरीके से बदनाम करने की सच्चाई भी इसने जनता के सामने लाई है। पिछले सौ घंटे से इसके दफ्तर और संस्थापक के घर पर ईडी का छापा चल रहा है।

देशभर से न्यूक्लिक पर छापे का विरोध हो रहा है। अब एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने एक वीडियो जारी करके खुलकर न्यूजक्लिक पर हमले का विरोध किया है।

रवीश कुमार ने कहा-देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों के गोदीकरण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। कुछ दूसरी जगहें बची हैं, जहां अब भी ग्राउंड रिपोर्ट हो रही है, जहां सत्ता से सवाल किए जा रहे हैं। ये सवाल करनेवाले मीडिया संस्थान हैं न्यूजक्लिक, न्यूजलाउंड्री, कारवां, द वायर। इन संस्थानों पर अब सत्ता की निगाहें हैं। इन्हें डराने के लिए मुकदमे किए जा रहे हैं, छापे मारे जा रहे हैं।

पत्रकारिता जिंदा रहे, इसलिए न्यूज क्लिक पर हमले का विरोध करें

पहले विपक्ष के नेता को डराने के लिए ईडी का इस्तेमाल किया जाता था, अब यह पत्रकारों को भी डराने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ईडी नया सीबीआई हो गया है। ये छापे सवाल करनेवाली उभरती नई जगहों को उभरने के पहले ही खत्म करने के मकसद से मारे जा रहे हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री बोले-आपका नंबर भी आएगा

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा न्यूजक्लिक के संपादक के घर पर छापा मारा गया है। मीडिया का गला घोंटने का इससे बदतर उदाहरण नहीं मिल सकता, जो सरकार कर रही है। इसके बावजूद मीडिया में सन्नाटा है। क्या आप यह सोच कर डरे हुए हैं कि आज या कल आपका नंबर आएगा। यशवंत सिन्हा ने अंत में कहा- उठिए और विरोध करिए।

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इरफान हबीब ने भी उठाई आवाज

प्रसिद्ध इतिहासकार एस इरफान हबीब ने चार दिन पहले ही न्यूजक्लिक पर हमले का विरोध किया था। उन्होंने कहा- दुख है, पर आश्चर्य नहीं कि न्यूजक्लिक को इस तरह डराने की कोशिश की जा रही है। न्यूजक्लिक ने कई ऐसे वरिष्ठ पत्रकारों को मंच दिया, जिनके लिए टीवी चैनलों में काम करना असंभव हो गया। इसके संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ ने आपातकाल के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।

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