Nitish kumar

भाजपा विधायक अनिल सिंह के पाप की सजा उनके ड्राइवर को मिल गयी. यह अंधेरनगरी की अंधेरगर्दी का जीता-जागता नमूना है.

Nitish kumar

मुकेश कुमार

“लॉकडाउन के बीच किसी को बुलाना नाइंसाफी है, लॉकडाउन के दौरान किसी को बुलाना संभव नहीं है” नीतीश कुमार के इस अपील के बाद भी अनिल सिंह (विधायक, हिसुआ) द्वारा अपने पिता के कर्तव्य निभाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है.

इस प्रकरण में नवादा सदर के अनुमंडल दंडाधिकारी अनु कुमार के निलंबन के बाद विधायक अनिल सिंह के वाहनचालक शिवमंगल चौधरी को निलंबित कर दिया गया.

विधायक के वाहनचालक का निलंबन क्यों? कहावत है कि ‘जोगी-जोगी लड़ पड़े, खप्पड़ का नुकसान’ अर्थात् बड़ों की लड़ाई में नुकसान गरीबों का होता है.

विधायक अनिल सिंह प्रकरण में यही होता दिख रहा है. जिस सरकारी वाहन महिंद्रा स्कोर्पियो S-6 (डीजल) गाडी संख्या BP01PJ- 0484 से विधायक अनिल सिंह (विधायक, हिसुआ) अपनी पुत्र / पुत्री को कोटा से बिहार लेकर आए थे. इस कारण परिचालक को निलंबित कर दिया गया है.

विधानसभा अध्यक्ष ने संज्ञान लेते हुए विधायक के परिचालक शिवमंगल चौधरी से स्पष्टीकरण माँगा था, परन्तु इसके स्पष्टीकरण से असंतुष्ट होकर निलबंन का आदेश जारी कर दिया गया है. दरअसल यह गाडी विधायक अनिल सिंह को आवंटित की गई है. इसे अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए राज्य से बाहर नहीं ले सकते हैं. विधायक ने बिना किसी पूर्व सुचना के वाहन को राज्य से बाहर कोटा ले गए और सरकारी वाहन का दुरुपयोग किया.

परिचालक के निलंबन पर यही कहा जा सकता है ‘करे कल्लू, भरे लल्लू’. विधायक पर कब होगी कार्रवाई ?

पर सवाल यह उठता है कि विधायक की सरकारी गाड़ी के परिचालक शिवमंगल चौधरी अपनी मर्जी से कोटा नहीं ले गया था, वह विधायक के कहने पर गया था. जब विधायक के वाहन चालक को कारण बताओ नोटिस के द्वारा स्पष्टीकरण माँगा गया तो विधायक से क्यूँ नहीं पूछा गया कि सरकारी वाहन का दुरुपयोग अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए कैसे किया?

क्या सरकारी वाहन को राज्य से बाहर ले जाने की पूर्व सुचना विधानसभा सचिवालय को दी गई थी? यदि नहीं, तो विधानसभा सचिवालय ने परिचालक को क्यों बलि काबकरा बनाया. विधायक अपने पिता होने के कर्तव्य निभाते हुए भी बिना कार्रवाई के कैसे रह सकते हैं जबकि परिचालक शिवमंगल चौधरी अपने वाहनचालक का कर्तव्य निभाते हुए भी निलंबित हो जाते हैं?

क्या बिहार सरकार के शासन में दो-दो विधान चलते हैं. सामान्य लोगों के लिए अलग और माननीय के लिए अलग विधान. जब लॉकडाउन की मर्यादा का उल्लंघन स्वयं माननीय करेंगें तो सवाल उठाना लाजिमी है कि विधायक के परिचालक को निलंबित करके सरकार किसको बचाने का प्रयास कर रही है?

‘करेगा सो भरेगा’ के विपरीत बिहार सरकार में ‘करे कोई भरे कोई’ के तर्ज पर परिचालक का निलंबन कर दिया गया है. माननीय विधायक पर कार्रवाई का इंतजार कब तक?

(लेखक पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में मीडिया के पीएचडी स्कॉलर हैं. यह लेखक के निजी विचार हैं )

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