गुजरात में भाजपा से राजपूतों की नाराजगी अब उप्र पहुंच गई है। मुजफ्फरनगर में राजपूतों की महापंचायत हुई, जिसमें भाजपा के boycott (बहिष्कार) का फैसला लिया गया। बहिष्कार से सिर्फ योगी आदित्यनाथ को अलग किया गया है। योगी के अलावा भाजपा के सभी नेताओं का boycott किया जाएगा। मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र के खेड़ा गांव में यह महापंचायत मंगलवार को हुई।

महापंचायत में भाजपा नेताओं के बहिष्कार के मुख्यतः तीन कारण बताए गए हैं, जिनमें अग्निवीर योजना का विरोध, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में विफलता तथा राजपूत समाज के अपमान का विरोध शामिल है। उप्र में पहले चरण में 19 अप्रैल को आठ लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होगा। ये क्षेत्र हैं-सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत। राजपूतों की महापंचायत के फैसले से भाजपा की मुश्किल बढ़ गई है।

राजपूतों की महापंचायत चौबीसी संगठन के जरिये किया गया। चौबीसी में राजपूतों के 24 गांव हैं। इन गावों की एकता और यहां से निकली आवाज का असर पूरे पश्चिमी उप्र में पड़ता रहा है। बहुत पहले वीपी सिंह ने भी जब कांग्रेस के खिलाफ अभियान की शुरुआत की थी, तो इसी चौबीसी से की थी, जहां उन्हें भरपूर समर्थन मिला था। ये चौबीसी सिवाल खास (बागपत), सरधाना (मेरठ) और खटौली (मुजफ्फरनगर) में आते हैं, जो राजपूतों की ताकत का प्रतीक रहा है।

खबरें मिल रही हैं कि पूरे उप्र और खासकर पश्चिमी उप्र में यह चर्चा है कि भाजपा में राजपूत नेताओं की उपेक्षा की जा रही है। योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह से टिकट बंटवारे में कोई सलाह नहीं ली गई। ऐसी चर्चा से भी राजपूतों की नाराजगी को बल मिला। फिलहाल मुजफ्फरनगर की महापंचायत के निर्णय से भाजपा सकते में है। दो दिन बाद ही इस इलाके में मतदान है, जहां इस महापंचायत का असर हो सकता है।

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