SaatRang : बुद्ध पूर्णिमा पर धम्मयात्रा, घर-घर पहुंचाएंगे संदेश

पटना में बुद्ध पूर्णिमा पर सबसे अलग तरह का समागम। राज्यभर के बौद्ध अनुयायी जुटे। संत कबीर और संत रविदास को बुद्ध परंपरा का विस्तार बताया।

कुमार अनिल

आज बिहार की राजधानी पटना में राज्यभर से आए बौद्ध अनुयायियों ने धम्मयात्रा निकाली। इस यात्रा में हजारों की संख्या में वाहनों पर झांकियां सजी थीं, जिनमें बुद्ध और आंबेडकर के विचार दरसाए गए थे। झांकियों का काफिला तीन किमी लंबा था। झांकी को जगह-जगह लोग रुक कर देख रहे थे। अब तक बुद्ध को लोग किताबों में ही पढ़ते थे, आज पहली बार बिहार में इतनी बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी सड़क पर थे। बाद में यह धम्म यात्रा गांधी मैदान के निकट श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में महासभा में तब्दील हो गई। इस समागम में देश भर से आए भिक्खुओं ने संबोधित किया। खास बात यह कि कबीर और रविदास को बुद्ध परंपरा का विस्तार बताया गया। इस पर भिक्खुओं ने विस्तार से चर्चा की। समागम के अंत में प्रस्ताव पारित करके बिहार के घर-घर में बुद्ध के विचार और साहित्य को पहुंचाने का निर्णय लिया गया। साथ ही भविष्य में गांधी मैदान में वृहद आयोजन करने का भी संकल्प लिया गया।

पटना में पहली बार बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने इतनी बड़ी धम्मयात्रा निकाली, लेकिन बिहार के डिजिटल मीडिया ने लगता है, इसकी उपेक्षा कर दी। किसी ने इस खबर को प्रकाशित नहीं किया। अब देखना है कि कल अखबार किस तरह इस धम्म यात्रा को कवर करते हैं।

आज श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में भंते अशोक सांखया ने बौद्ध धर्म में विनय का महत्व समझाया और इसका पालन कैसे करें, इसे विस्तार से बताया। भंते कारुणिक ने बौद्ध धर्म के पाली के सूत्रों की व्याख्या की, भंते प्रियदर्शी सारनाथ ने बौद्ध धर्म और कबीर एक श्रृंखला, विश्वास मेश्राम ने बौद्ध धर्म और सामाजिक परिवर्तन, डॉ. त्रिशरण बौद्ध ने बौद्ध धर्म में महिला सशक्तीकरण, पूर्व आईएएस बुद्ध शरण हंस ने बौद्ध धर्म और आज के परिप्रेक्ष्य, डॉ. पी राजेंद्र ने बौद्ध धर्म और गुरु रविदास श्रृंखला पर व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम के आयोजकों में प्रमुख थे अंजु बौद्ध, नकुल धम्मप्रिय, संतोष बहुजन, दीपक राज, डॉ. यशपाल, पंचम कुमार, अनिल पासवान, ललिता बौद्ध और अन्य।

जिस मुस्लिम का ठेला पलटा, वह साहित्य मेले का करेंगे उद्घाटन

By Editor