सिंगापुर से लौटे : संसद में बोलने न देने के वक्त लालू का महत्व बढ़ा

लालू प्रसाद को सिंगापुर से भारत विदा करते हुए बेटी रोहिणी ने की भावुक अपील, लेकिन उससे कहीं ज्यादा देश के सियासी हालात में लालू का महत्व बढ़ा।

कुमार अनिल

सिंगापुर में इलाज के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद शनिवार को दिल्ली लौट आए। सिंगापुर से भारत के लिए विदा करते हुए बेटी रोहिणी ने भावुक अपील की है। हालांकि उनका लौटना परिवार के लिए खुशी की बात तो है ही, लेकिन देश के आज के हालात में लालू के स्वस्थ हो कर भारत लौटने का राजनीतिक महत्व कहीं ज्यादा है। आज स्थिति यह है कि संसद में विपक्ष के नेता के भाषण रिकॉर्ड से उड़ाए जा रहे हैं। पहले संसद में किसी शब्द को रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया जाता था, वह भी भाषण के बीच ही। अब तो हालत यह है कि पूरा वाक्य ही उड़ाया जा रहा है, वह भी भाषण के दूसरे दिन। अडानी का नाम तक संसद में नहीं ले सकते। लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है, यह चिंता का विषय है। इस समयलालू का लौटना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

सिंगापुर से भारत के लिए विदा करते हुए बेटी रोहिणी ने कहा-दुआ का रंग नही होता, मगर ये रंग ले आती है.. मन का विश्वास न टूटे हमारा यहीं आस है आप लोगों से हमारा। एक अन्य ट्वीट में रोहिणी ने कहा-करबद्ध निवेदन है आप सबसे बस इतनी विनती स्वीकार करें एक बिटिया के तप को ना जाने देना व्यर्थ कभी मेरे पापा की सेहत का ख्याल रखना आप लोग सभी।

लालू के भारत लौटने से विपक्ष को नई ताकत मिलेगी। लालू प्रसाद भाजपा और संघ के प्रति कभी नरम नहीं होने के लिए जाने जाते हैं। उनका संबंध सोनिया गांधी और कांग्रेस नेताओं से भी अच्छा है और विपक्षी नेताओं में उनके कद के कम ही नेता हैं। ऐसे में वे न सिर्फ विपक्षी गोलबंदी के लिहाज से खास हैं, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और संविधान के मूल्यों की रक्षा की लड़ाई तथा जनता के महंगाई-बेरोजगारी जैसे आम सवालों पर संघर्ष के लिहाज से भा लालू का महत्व बहुत अधिक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि लालू प्रसाद जल्द ही राजनीतिक घमासान में नई भूमिका में दिखेंगे।

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