तब तबलीगी की कड़ी निंदा, आज कुंभ पर सामूहिक चुप्पी क्यों

एक साल पहले तबलीगी जमात की खूब निंदा हुई थी। कोरोना को धर्म से जोड़ दिया गया था। आज कुंभ की भीड़ पर चुप्पी दिख रही है। क्या सामूहिक विवेक कमजोर हो रहा?

कुमार अनिल

आज देश में कोरोना की रफ्तार पिछले साल से भी अधिक है। रेमडेसिविर दवा के लिए हाहाकार मचा है। अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड की कमी है। एक साल बीत चुका है, पर देश ने इस दौरान कितनी तैयारी की?

एनडीटीवी की खबर के अनुसार आज अकेले उत्तर प्रदेश में 13, 685 नए कोरोना पॉजिटिव केस पाए गए हैं। बिहार में भी तेजी से कोरोना फैल रहा है। सरकारी अस्पतालों का बुरा हाल है। मजबूरी में लोग प्राइवेट अस्पताल में जा रहे हैं, जहां बेहिसाब बिल आ रहा है।

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कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने लगातार कई ट्विट किए हैं। वीडियो पर कई संदेश दिए हैं। उनका एक बयान साहसिक है। कहा- जब देश में केवल छह हजार कोरोना केस थे, तब तबलीगी जमात की सबने सामूहिक निंदा की, आज देश में 1, 68, 919 मामले हैं, तब कुंभ स्नान, चुनावी रैलियों पर हमारी सामूहिक चुप्पी भी सब सुन रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या हम सत्ता पक्ष की दो कौड़ी की राजनीतिक विचारधारा के खिलौने बन रहे हैं?

पवन खेड़ा ने पूछा है कि महंत नरेंद्र गिरि महाराज सहित कई साधु-संतों को कोरोना हो गया है, इसके लिए कौन जिम्मेवार है? सरकार को एक साल का समय मिला, लेकिन उसने सबको वैक्सीन देने की कोई व्यवस्था नहीं की।

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पत्रकार रोहिणी सिंह ने कुंभ स्नान के दौरान भीड़ की कई तस्वीरों को साझा करते हुए नेशनल मीडिया से तबलीगी जमात से माफी मांगने को कहा है। कई लोगों ने कुंभ की भीड़ के तस्वीर के साथ तंज कसते हुए इन्हें तबलीगी कहा है। शाहीन भट्ट ने लिखा है कि तबलीगी जमात को सभा करने की इजाजत मिली थी, बाद में लॉकडाउन लगा, लेकिन कुंभ की भीड़ तो सीधी लापरवाही है।

सोशल मीडिया पर कुंभ की भीड़ का पक्ष लेने वाले भी अनेक दिखे। आशुतोष पांडे लिखते हैं कि कुंभ में शामिल लोगों ने क्या किसी पर थूका? प. बंगाल चुनाव में रैलियों की भीड़ पर खुश होकर खुद भाजपा के बड़े नेता ट्विट कर रहे हैं।

तबलीगी गलत थे, पर कुंभ और चुनावी रैलियां सही हैं! आखिर हम कहां जा रहे हैं, क्या हम अपना विवेक खोकर महामारी से लड़ पाएंगे?

By Editor