एक जुनून है उनके दिल में। मानवसेवा कारक्तदान कायुवाओं को जोड़ कर पीड़ित रोगियों को जीवन लौटाने में सहायक होने का.

उसके इस नेक जज़्बे का हासिल यह है किपिछले ढाई साल मेंअब तक वह स्वयं सात बार अलगअलग मरीज़ों को अपना रक्त दे चुका हैजो मौत से जूझ रहे थे। उसे अनेकों जिंदगियाँ बचाने का फ़ख़्र हासिल है। उसने अपने हमख़याल छात्रनौजवानों का एक समूह बना रखा हैजिसकी संख्या बढ़कर अब १८५६ हो गई है। बिहार ब्लड डोनर टीम‘ नामक यह समूहहर वक़्त ज़रूरतमंद मरीज़ों को निःशुल्क रक्त देने के लिए तैयार और तत्पर रहता है। 

जी हाँ निरंतर रक्तदानका संकल्प ले चुके उस जुनूनी नौजवान का नाम मो तारिक अज़ीज़ हैजो गोपालगंज का रहने वाला और इंडियन इंस्टिच्यूट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्चबेउर,पटना के बैचलर औफ़ फ़िज़ियोथेरापी का छात्र है। उसके इस समूह मेंमो वसीम अहमदकुमार उमाकांत ,समद अंसारी,अवनीश कुमार झा,मनीष कुमार सिंह,वैभव कुमार तथा परितोष प्रधान समेत इस संस्थान के दर्जनों छात्र जुड़े हुए हैं।

स्टुडेंट ऑफ द ईयर का सम्मान

संस्थान के निदेशकप्रमुख डा अनिल सुलभ ने अपने इस रक्तदानी छात्र की मानवसेवा के व्रत को सलाम कहते हुए,उसे इस वर्ष का स्टूडेंट औफ़ द ईयर‘ सम्मान से विभूषित करने की घोषणा की है। जुलाई महीने मेंसंस्थान के नए सत्र के उद्घाटन के अवसर पर तारिक को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर रक्तदान करने वाले संस्थान के अन्य छात्रों को भी सम्मानित किया जाएगा।

रोजा तोड़ कर बचाई जान

तारिक नेगत ९ जून को रमज़ान का रोज़ा‘ तोड़कर,सड़क दुर्घटना में घायल और पारस अस्पताल में भर्ती जीरादेई निवासी अबरार खान नामक मरीज़ को अपना अमूल्य रक्त दान किया। यह उसका सातवाँ रक्तदान था। इसके पूर्व उसने१७ अगस्त २०१५ को महावीर कैंसर संस्थान,अनीसाबादपटना में१३ जनवरी,२०१६ कोरेड क्रौसगोपालगंज में३० मई२०१६ कोरघुवीर यादव के लिएएम्सदिल्ली में५ सितम्बर २०१८ को पुनः महावीर कैंसर संस्थान,पटना में१० मई २०१७ कोअनिता देवी के लिएजयप्रभा अस्पतालकंकड़बाग,पटना में तथा २२ फ़रबरी २०१८ कोएक आठ वर्षीय बच्चे कामरानके लिएकुर्जी हौली फ़ैमिली अस्पताल में अपना रक्तदान कर चुका है। 

सोशल मीडिया से रहते हैं सम्पर्क में

कामरान बताते हैं कि, ‘रक्तदानका यह जुनून उन पर तब सवार हुआजब वक़्त पर ख़ून नहीं मिल पाने के कारण,उनकी मामी शहनूर बेगम,जो उनसे बहुत मुहब्बत रखती थीने तड़पतड़प कर अपनी जान दे दी। उस वक़्त वे वहाँ नहीं थे। मामी की मौत ने उसे हिला कर रख दिया। तभी से उसने रक्तदानको अपना मिशन बना लिया। उसने अपने साथियों के साथ एक छोटा समूह भी बनायाजो अब बढ़ कर १८५६ संख्या वालीबिहार ब्लड डोनर टीम‘ बन गई है। ये सभी फ़ेस बूक ग्रूप और हवाटसएप ग्रूप‘ से आपसस में जुड़े हुए हैंजिससे उन्हें अविलंब सूचना मिलती है। इस संगठन को जैसे हीं सूचना मिलती हैइनमें से वे नौजवान जो निकट उपलब्ध होते हैं और जिन्होंने विगत तीन महीने के भीतर अपना रक्त किसी को नही दिया होता हैअविलंव रक्तदान के लिए,स्वयं पहुँच जाते हैं। इस समूह में तारिक के ममेरे भाई वसीम बिन सऊदजो क़तर (अरबअमीरात)में सेफ़्टी इंजीनियर हैंशामिल हैं । दुनिया ऐसे हीं जुनूनी नौजवानों को सदा सलाम करती है। 

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