चुनाव को लेकर राजद में इतना आत्मविश्वास क्यों है ?

शाहबाज़ की विशेष रिपोर्ट

बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चूका है. कोरोना महामारी, प्रवासी संकट, बेरोज़गारी, बाढ़ और पलायन जैसे गंभीर समस्याओं से झुझते बिहार में इस बार कौन जीतेगा यह सवाल हर बिहारी के दिल में है. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में जनता का मूड भांपकर ज़बरदस्त उत्साह का माहौल है.

बिहार विधान सभा चुनाव 2020 कोरोना काल में होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव है. 2005 के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) अपने सातवें कार्यकाल के लिए चुनाव मैदान उतर चुके है. NDA (National Democratic Alliance) गठबंधन ने नीतीश के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया था. लेकिन समय बीतते ही उनकी प्रमुख सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपना स्टैंड बदला। भाजपा ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगने का फैसला कर लिया। इसके बाद मोदी ने बिहार के लिए योजनाओं का अम्बार लगा दिया।

बिहार चुनाव का ऐलान, जानिये कब है आपके ज़िले में चुनाव

बीजेपी के ही आंतरिक सर्वे ने हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पर प्रश्नवाचक चिन्ह उठाते हुए खुलासा कर दिया कि राज्य में नीतीश कुमार के खिलाफ नाराज़गी है. इसके बाद NDA के ही एक और घटक लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कह दिया कि नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर गठबंधन को नुक्सान हो सकता है.

राजद के उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान होते है पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने ट्वीट कर नया चुनावी नारा दे दिया। उन्होंने कहा कि “उठो बिहारी, करो तैयारी, जनता का शासन अबकी बारी… बिहार में बदलाव होगा. अफ़सर राज ख़त्म होगा. अब जनता का राज होगा.” बता दें कि बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के करीब आते ही लालू यादव सोशल मीडिया पर और अधिक सक्रिय हुए और लगातार राज्य की जेडीयू-बीजेपी सरकार पर निशाना साध रहे है. ज़मीनी माहौल भांपकर राजद नेता और लालू के पुत्र तेजस्वी यादव ने भी पत्रकारों से कह दिया कि इस बार राज्य की जनता ने सरकार बदलने का मन बना लिया है.

RJD के उत्साह के पांच कारण

युवा वोटर

बिहार में इस बार कुल 7.29 करोड़ वोटर है. अगर इसकी तुलना 2015 चुनाव से करें तो 59 लाख नए वोटर जुड़े है. ज़ाहिर है इनमे युवा वोटर है जिन्होंने लालू राज या तो देखा ही नहीं या फिर उसका छोटा सा अंश देखा है. इसलिए युवा बिहार की तुलना देश के विकसित राज्यों से कर रहे है न की पुराने बिहार से. अगर हर विधान सभा क्षेत्र में 5000-10000 नए वोटर्स भी जुड़ते है तब यह कहना गलत नहीं होगा कि युवा वर्ग जिसकी चाहे उसकी सरकार बना सकता है. चुनाव में बेरोज़गारी बड़ा मुद्दा रहेगा। जनता का मूड भांपकर तेजस्वी ने 4 लाख नौजवानो को नौकरी देने का वादा कर दिया। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पटना में मेट्रो के निर्माण कार्य का उद्घाटन किया। हालांकि बिहार को जातीय राजनीती के लिए जाना जाता है लेकिन जानकार मानते हैं कि इस बार युवा वोटरों के पास सरकार बनाने चाभी रहेगी.

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प्रवासी मज़दूरों का गुस्सा

कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण बिहार के लाखों मज़दूरों और प्रोफेशनल्स को बिहार आना पड़ा. तमाम दिक्कतों का सामना कर बिहार लौटा यह समाज अब उद्वेलित है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में लगभग 18 लाख प्रवासी लोग वापस आये जो केंद्र सरकार और बिहार सरकार से पूर्णतः नाराज़ है. वही पलायन भी एक प्रमुख मुद्दा है. पिछले 15 साल में भी बिहार में उद्योग धंधो का विकास न होने के कारण राज्य से पलायन नहीं रुका। अब अगर जनता वोट के माध्यम से अपनी नाराज़गी जताती है तो इसका फायदा विपक्षी पार्टियों को मिलेगा और NDA गठबंधन को नुक्सान उठाना होगा।

किसानों की नाराज़गी

बिहार मूलतः कृषि प्रधान राज्य है. हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा संसद से पास हुए कृषि विधेयकों के खिलाफ देशभर में आंदोलन हो रहे है. ज़ाहिर है इसका असर बिहार की राजनीति पर भी होगा। बिहार सरकार ने 2006 में ही मंडियों को ख़त्म कर दिया था जिससे राज्य के किसानो को MSP (Minimum Support Price) का लाभ नहीं मिला। यह फैक्टर भी बिहार चुनाव पर असर डाल सकता है.

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मोदी सरकार के फैसलों से जनता की नाराज़गी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से ही एक के बाद एक अलोकप्रिय फैसले लिए. कई राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि नोटेबंदी, जीएसटी, के बाद लॉकडाउन के कारण बेरोज़गारी बढ़ी और देश की अर्थवयवस्था चरमरा गयी. ज़ाहिर है इन फैसलों का असर हर आम आदमी पर पड़ा है. पिछले दिनों जनता ने सोशल मीडिया पर मोदी के मन की बात को डिसलाइक कर भारी नाराज़गी का सन्देश दिया। चूँकि बिहार में जदयू-भाजपा की गठबंधन सरकार है इसलिए भाजपा के खिलाफ लहर का खामियाज़ा जदयू को भी उठाना पड़ सकता है.

कोरोना महामारी और बाढ़ का संकट

देशभर में कोरोना महामारी का कहर जारी है. बिहार में भी कोरोनाकाल में बिहार सरकार की स्वास्थ वयवस्था पर गंभीर बोझ पड़ा. अस्पतालों की कुवयवस्था के कारण कई लोगों को जान गंवानी पड़ी. दूसरी और राज्य में आये बाढ़ से बहुत नुक्सान हुआ. बिहार सरकार और केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित इलाकों में नाकाफी मदद दी गयी. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने कभी क्यूंट्लिया बाबा के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ खुलकर नाराज़गी जताई है। फिलहाल माना जा रहा है कि ये दोनों फैक्टर्स (Corona+Flood) भी NDA के वोट बैंक पर असर डालेंगे।

By Editor