मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने फेसबुक पेज पर काफी सक्रिय हैं. इसबार उन्होंने फेसबुक पर भाजपा को घेरते हुए बता रहे हैं कि उन्हें नकली प्रशंसक और नकली सर्वे पसंद है, सार्थक बहस नहीं.
हम सोशल मीडिया पर ईमानदारी से आपसे जुड़ रहे हैं, ये बात भाजपा के नेताओं को सताने लगी है | हास्यास्पद बयान दे रहे हैं कि हम सोशल मीडिया पर क्यों अपनी बात रखते हैं |
सोशल मीडिया खुली बहस का बेहद प्रभावी माध्यम है | बहुत से मुद्दे हैं जिन पर देश में एक राय नहीं है – सोशल मीडिया एक अनवरुद्ध माध्यम है व्यापक बहस कर के आम राय बनाने का | हम यही कर रहे हैं और आगे भी करेंगे | इसलिए हम पूरी बात लिखते हैं, नारे नहीं लगाते, अलग अलग श्रृंगार की तसवीरें नहीं लगाते और किसी जनसभा में लोगों की अविश्वसनीय भीड़ नहीं दिखाते | बस अपनी बात रखते हैं और आपकी बात सुनते हैं | इस पर घबराकर भाजपा के नेता कहते हैं – भीड़ की तस्वीर दिखाइये, कोई ठोस बात मत लिखिए |
भाजपा का मॉडल ही है – सोशल मीडिया को hijack कर इसके प्रभाव को mis-direct करना और दुष्प्रचार से किसी का चरित्रहनन करने का | ये खुली बहस नहीं होने देना चाहते |
भाजपा इस चुनाव को video game की तरह देख रही है | इन्हें सब कुछ नकली चाहिए – नकली सर्वे हों, नकली फ़ेसबुक और ट्वीटर के प्रशंसक हों, टीवी पर हल्के – फुल्के इंटरव्यू हों और नकली खबरें हों – ताकि इन सब से साबित कर सकें कि देश में इनकी लोकप्रियता गांधीजी से भी ज्यादा है और इनके नेता का कद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी से ऊंचा है |
ये सोशल मीडिया पर mob mentality की प्रवृति पैदा करते हैं | आपसे ईमानदार dialogue नहीं करना चाहते | तसवीरें लगाते हैं – कभी क़ानून तोड़कर कर, कभी बड़ी भीड़ का illusion create कर के | चाहते हैं कि आप बेतुके नारे लगायें | महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस हो तो सोशल मीडिया पर भगदड़ मचा देते हैं – बहस दब जाती है, बस शोर और चीखें रह जाती हैं |
जब कोई सच बताता है, किसी अनियंत्रित भीड़ की तरह उस पर हमला कर देते हैं, फिर चाहे कोई भी हो | नोबेल लौरेट और प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन अगर अपनी राय रखें तो इनकी सोशल मीडिया की भाड़े की भीड़ हमला कर देती है और वहीँ जब टैक्स और अर्थव्यवस्था के जटिल और महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई हवाबाज़ योगगुरु अपनी राय रखता है तो ट्रेंड होने लगता है | कमाल है ! सोशल मीडिया के दुरूपयोग का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता |
देश का प्रबुद्ध, विकास पसंद और युवा तबका आज सोशल मीडिया से जुड़ा है | भाजपा का तंत्र इसे केवल भीड़ की तरह देखता है | भारत का संविधान हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आज़ादी देता है ताकि उसका स्वतंत्र व्यक्तित्व उभरे जो देश को और समाज को मज़बूत कर सके | पर दुष्प्रचार से तंत्र से उत्साहित भाजपा नहीं चाहती कि आपकी स्वतंत्र पहचान हो व्यक्ति के रूप में, किसी भीड़ के रूप में नहीं ! सोशल मीडिया पर स्वतन्त्र रुख रखिये, तभी लोकतंत्र मज़बूत होगा !