केंद्र सरकार बिहार सरकार पर आरोप लगाती रहती है कि वह विकास राशि को खर्च नहीं कर पाती हैं। विभागवार आकलन भी यही बताते हैं कि किसी भी विभाग में सत्‍तर फीसदी से अधिक खर्च नहीं हो पाता है। कई विभाग ऐसे भी हैं, जो आवंटित राशि का एक पैसा भी खर्च नहीं कर पाते हैं। इसकी मूल वजह है अधिकारियों की कमी। विकास योजनाओं के कार्यान्‍वयन में भी यही मुख्‍य बाधा है। एक आइएएस के जिम्‍मे कई-कई विभाग हैं। इससे अनावश्‍यक विलंब होता है और कार्य दक्षता पर प्रभाव भी पड़ता है।Capture

कुलभूषण, वरीय पत्रकार

 

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार , एससी एसटी कल्याण विभाग के सचिव हुकुम सिंह मीणा एक साथ चार महकमा चला रहे हैं। उनके जिम्मे पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग, महादलित आयोग और निबंधक सहयोग समितियां का भी अतिरिक्त प्रभार है। उनके मूल विभाग से प्रभार वाले अन्य तीन महकमों की दूरी करीब छह से सात किलोमीटर है। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के अतिरिक्त प्रभार में हैं, तो कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्र के जिम्मे राज्यपाल के प्रधान सचिव का पद भी है। व्यास जी को आपदा प्रबंधन के साथ-साथ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के लिए भी वक्त निकालना पड़ता है।

 

राज्य के करीब तीन दर्जन आइएएस ऐसी परेशानी से जूझ रहे हैं, जिसका निदान उनके वश की बात नहीं है। यह नौबत राज्य में आइएएस अफसरों की कमी के कारण आयी है। राज्य में आइएएस से स्वीकृत 342 पदों में से सवा सौ पद खाली हैं। इसके कारण कई महत्वपूर्ण विभागों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। अधिकारियों को एक से अधिक विभाग की जिम्मेवारी दी गयी है। इसके कारण अधिकारी एक विभाग के कामकाज पर केंद्रित होते हैं तो दूसरे विभाग में फाइलों का ढेर लग जाता है। विकास योजनाओं की मॉनीटरिंग से लेकर योजना की राशि खर्च पर भी असर पड़ रहा है।

 

चार साल पहले बढ़ा था पद

वर्ष 2009 में आइएएस अधिकारियों के पद 264 से बढ़ा कर 324 किये गये थे। इसके बाद 2010 में 18 और पद बढ़े।  फिलहाल 342 पदों के विरुद्ध 217 आइएएस कार्यरत हैं। निकट भविष्य में यह संकट भी दूर नहीं होने वाला है, क्योंकि जितनी संख्या में आइएएस अधिकारी रिटायर करने वाले हैं, उतनी संख्या में केंद्र सरकार अफसर नहीं दे रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 2010 से प्रतिवर्ष नौ से दस आइएएस अधिकारी मिल रहे हैं,जबकि प्रति वर्ष इससे कहीं अधिक सेवानिवृत हो जाते हैं। इस साल बिहार को 10 आइएएस मिलेंगे, पर 20 आइएएस रिटायर हो जायेंगे। इसमें 16 तो अबतक रिटायर हो चुके हैं। इसी प्रकार 2015 में भी अधिकतम 10 आइएएस मिलेंगे, पर रिटायर करने वालों की संख्या 13 होगी। बिहार प्रशासनिक सेवा और गैर प्रशासनिक सेवा से प्रोन्नति से 104 आइएएस मिलते हैं। इस कोटे से 2011 और 2012 के लिए बिहार को 30 से 35 आइएएस मिलेंगे। इस बीच सामान्‍य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार ने कहा कि इस संबंध में केंद्र से परामर्श किया जा रहा है।

(साभार : प्रभात खबर)

By Editor


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