अमरीका के फेडरल रिज़र्व के अध्यक्ष के रूप में उसके गवर्नारों के बोर्ड की मौजूदा उपाध्यक्ष जेनेट येलेन की तैनाती की चर्चा है , वे महिला हैं और किसी भी पुरुष से ज़्यादा योग्य हैं.
शेष नारायण सिंह
लेकिन अमरीकी समाज में पिछड़ापन की हद ही कही जायेगी कि उनके खिलाफ आभियान चलाया जा रहा है कि वे देश की सबसे बड़ी वित्तीय संस्था की अध्यक्ष न बन जाएँ.
एक फटीचर अमरीकी अखबार में उनके महिला होने के कारण फेडरल रिज़र्व के अध्यक्ष पद पर तैनाती के खिलाफ सम्पादकीय लिख दिया गया . अजीब बात है कि देश के बड़े आर्थिक अखबार , वाल स्ट्रीट जर्नल में भी उसी संपादकीय के हवाले से चर्चा कर दी गयी और इस अखबार की मर्दवादी सोच को सही ठहरा दिया गया .
भारत में लोग नहीं जानते होंगें लेकिन अमरीका में सबसे बड़े वित्तीय प्रबंधक के रूप में जेनेट येलेन की पहचान है .उन्होंने अमरीका के शीर्ष विश्वविद्यालयों में शिक्षा पायी है . ब्राउन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने येल विश्वविद्यालय से पी. एचडी किया था. हार्वर्ड विश्वाविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में उन्होंने नौकरी शुरू की और १९७६ तक हार्वर्ड में रहीं . १९७७-७८ में वे इसी फेडरल रिज़र्व में इकानामिस्ट के रूप में काम किया जिसकी आजकल उपाध्यक्ष हैं .
कौन हैं जेनेट
१९८० में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ,बर्कले के बिजिनेस स्कूल में मैक्रो इकनामिक्स की शिक्षक रहीं .डॉ येलेन बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति काल में आर्थिक सलाहकारों की परिषद की अध्यक्ष रहीं . वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल आफ इकानामिक्स में प्रोफ़ेसर रह चुकी हैं . अमरीका की सबसे प्रतिष्ठित अर्थशास्त्र के विद्वानों की संस्था अमेरिकन इकनामिक एसोशियेशन की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं . फेडरल रिज़र्व सिस्टम के मौजूदा अध्यक्ष बेन बर्नान्के को अगर २००९ में फिर से अध्यक्ष न बना दिया गया होता तो उस वक़्त में उनके गंभीर उताराधिकारियों में जेनेट येलेन का नाम लिया जा रहा था . लेकिन अमरीकी अर्थव्यवस्था का नुक्सान होना था तो पता नहीं किस रौ में बराक ओबामा ने बर्नान्के को फिर से एक और कार्यकाल बख्श दिया .और पांच साल के लिए फेडरल रिज़र्व की मुख्य कुर्सी पर बैठा दिया .
इस बात की पूरी संभावना है कि इतनी काबिल महिला को इस बार फेडरल रिज़र्व सिस्टम का अध्यक्ष बना दिया जाएगा लेकिन अमरीकी समाज में मौजूद पुरातनपंथी और पोंगापंथी राजनेता और लाबी ग्रुप के लोग उनका विरोध कर रहे हैं . यह विरोध दो स्तरों पर हो रहा है . एक तो घटिया दर्जे की मानसिकता वाले पब्लिक ओपिनियन लीडर लोग कुछ फटीचर और मर्दवादी अखबारों में लिख रहे हैं .जबकि सच्चाई यह है कि आज की तारीख में अमरीका में अगर कोई इस नौकरी लायक है तो उसमें सबसे ऊपर जेनेट येलेन का ही नाम आता है . कुछ ऐसे लोग जो मर्दवादी तो हैं लेकिन ऐलानियाँ विरोध करने की उनकी हिम्मत नहीं पड़ती , वे येलेन के खिलाफ निंदा अभियान गुप्त रूप से चला रहे हैं .
अखबारों को भी रास नहीं
पिछले हफ्ते सन अखबार ने उनके खिलाफ एक सम्पादकीय लिखा जिसका शीर्षक था “ द फीमेल डालर “ .इस सम्पादकीय ने बहुत ही बेशर्मी से ऐलान किया कि पिछले पचास साल से फेडरल रिज़र्व ने ऐसी मुद्रानीति का पालन किया है जिस से मुद्रास्फीति बढती है और अगर किसी महिला को फेडरल रिज़र्व का काम सौंप दिया गया तो यह और खराब हो जाएगा. इस सम्पादकीय लेखक को यह भी पता नहीं है कि अमरीकी अर्थव्यवस्था में इस साल की मुद्रास्फीति पचास वर्षों में सबसे नीचे हैं .सन अखबार का कोई मतलब नहीं होता क्योंकि उसकी कोई औकात नहीं है .अगर अन्य दक्षिणपंथी अखबारों ने इस लाइन को आगे न बढ़ाया होता तो कोई भी परवाह न करता . लेकिन वाल स्ट्रीट जर्नल समेत कुछ नामी अखबारों ने भी अभियान शुरू कर दिया . जिसकी निंदा की जानी चाहिए.
सवाल यह है कि अगर जेनेट येलेन पुरुष होतीं और जितना दमदार उनका बायोडाटा है तो किसी भी अमरीकी पुरातनपंथी मर्दवादी नेता और बुद्धिजीवी ने उनका विरोध न किया होता .लेकिन ऐसा हो रहा है और इसकी निंदा की जानी चाहिए और राष्ट्रपति बराक ओबामा को चाहिए कि २००९ की गलती न दोहराएँ और जैनेट येलेन को इस बार फेडरल रिज़र्व सिस्टम का अध्यक्ष बनाने में संकोच न करें.