बिना हथकड़ी वाली पहली तस्वीर है भागलपुर जेल में बंद व हत्या मामले में सजायाफ्ता पूर्व सासंद मो. शहाबुद्दीन की है। हथकड़ी में जकड़ी दूसरी तस्वीर है नाबालिग छात्रा से रेप के मामले में आरोपित नवादा के विधायक राजबल्लभ प्रसाद की.
विनायक विजेता
शनिवार को बिहार शरीफ में कोर्ट में पेशी के समय की। कानून कहीं भी किसी विचाराधीन बंदी को पेशी वक्त हथकड़ी लगाने की इजाजत नहीं देता बल्कि हथकड़ी लगाना पुलिस के विवेकाधिकार पर है।
पुलिस को अगर यह शक या शंका हो कि विचाराधीन बंदी हथकड़ी नहीं लगाने पर पुलिस अभिरक्षा से फरार हो सकता है तभी वह हथकड़ी लगा सकती है। राजबल्लभ प्रसाद पर यकीनन गंभीर आरोप हैं पर वह एक विधायक व जनप्रतिनिधि भी हैं। उनका पूर्व का कोई गंभीर आपराधिक इतिहास भी नहीं है जबकि अपहरण, हत्या, सहित कई मामलों में आरोपित पूर्व सांसद हत्या के मामले में सजायाफ्ता भी हैं.
पिछले 13 मई को सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या की शक की सुई शहाबुद्दीन पर जाने के बाद उनका स्थानांतरण सिवान से भागलपुर केन्द्रीय कारा में कर दिया गया। कमर की दर्द की शिकायत के बाद चार दिनों पूर्व उन्हें डिब्रूगढ़-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस से इलाजे के लिए दिल्ली ले जाया गया।
शहाबुद्दीन के साथ दो जेलर सहित 24 सुरक्षाकर्मियों का एक अमला भी दिल्ली गया पर भागलपुर जेल से दिल्ली एम्स तक पहुंचन वाले शहाबुद्दीन के हाथों में कहीं भी हथकड़ियां लगी नहीं दिखीं। शहाबुद्दीन वर्तमान में जिस पार्टी के महासचिव हैं राजबल्लभ प्रसाद उस पार्टी के विधायक। तो फिर इस तरह की दोरंगी नीती का मतलब क्या।
क्या सरकार या कानून ने शहाबुद्दीन को हथकड़ी न लगाने और राजबल्लभ को हथकड़ी लगाकर अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था या फिर शहाबुद्दीन के साथ गए पुलिस अधिकारियों, जेलर या पुलिसकर्मियों में शहाबुद्दीन के हाथों में हथकड़ी लगाने की हिम्मत नहीं जुटी।
एक विधायक को फरार होने की आशंका से अगर उनके हाथों में हथकड़ी लगायी जा सकती है तो एक सजायाफ्ता शहाबुद्दीन के हाथों में क्यों नहीं।यहां तक कि दो वर्ष पूर्व दिल्ली में हुए बहुचर्चित निर्भया रेप मामले के आरोपितों में से एक शिवकुमार यादव (तस्वीर में देखें) को भी कोर्ट में पेशी के वक्त हथकड़ी नहीं लगाया गया।