हिंदी साहित्य सम्मेलन में नव वर्ष के स्वागत में आयोजित हुआ ‘गीतोत्सव–२०१८‘
पटना, ३१ दिसम्बर। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में आज कवियों और कवयित्रियों के विभिन्न अंदाज़ देखने और सुनने को मिले। आज पूरा दिन गीत को समर्पित था। ‘गीतोत्सव–२०१८‘ के रूप में गीतकारों ने विविध रस–गंध की रचनाओं से वर्ष २०१७ को विदाई देते हुए, नव–वर्ष का स्वागत किया। बीते साल की खट्टी–मीठी स्मृतियों के, चूभने, गुदगुदाने, मीठी टीस देने वाले गीतों के साथ उत्साह और मंगल–भाव के गीतों की गुनगुनी फुहार पड़ती रही और श्रोतागण ठंढ में भी वासंती बहार का आनंद लेते रहे।
कवि सम्मेलन का आरंभ एक अत्यंत मीठी आवाज़ से हुई, जब सुकंठी कवयित्री आराधना प्रसाद ने वागदेवी की आराधना की। अपनी इन सुरीली पंक्तियो से कि, “जो अपने फ़ैसले हर पल बदलते रहते हैं/ वो ज़िंदगी में फ़क़त हाथ मलते रहते हैं” , श्रोताओं को लयताल में झूमने पर विवश कर दिया
उद्घाटन गीत पढ़ते हुए, मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और कवि मेजर बलबीर सिंह ‘भसीन‘ ने संध्या की बेला को इन पंक्तियों से चित्रित किया कि, “ ऐ सूरज तू क्यों लाल हुआ? तेरा कहाँ गयों है ताप रे?” व्यंग्य के कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश‘ ने इन शब्दों से आज की राजनीति पर प्रहार किया कि, “न बटन, न काज है/ न सुर न साज है/ वही बगुला, वही बाज़ है/ राजनीति तो छिलकेदार प्याज़ है“।
वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश‘ ने कहा कि, “कहा तो पी गए ख़ुशी से हम न घबराए/ दुआ तो कीजिए , ज़हर क़हर न बरपाए/ लगा ले क्यों न होंठ से, बुझा ले प्यास कोई/ जो कोई हाथ में भरा गिलास धार जाए।” कवि–गायक डा शंकर प्रसाद ने नाए साल का इन पंक्तियों से स्वागत किया कि, “ये कौन आज आया, दबे पाँव दिल में? चमन ख़ूब मुस्कुराया दबे पाँव दिल में।” कवि जय प्रकाश पुजारी ने गजरते साल को इन पंक्तियों से विदा किया कि, “जाते हो तो जा थोड़ा प्यार दे के जा/ आने वाले को डुलार दे के जा“।
अपने अध्यक्षीय काव्य–पाठ में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने इन पंक्तियों में बीते साल को याद किया कि, “आँखों में कट गया साल कि वो आएँगे नए साल में/ जादूभरी अंगुलियों से सहलाएँगे नए साल में/ ज़ख़्म हरे सब भर जाएँगे, जो बीते साल दिए उसने/ या फिर एक झलक दिखलाकर बहलाएँगे नए साल में?” उन्होंने अपनी इन अंतिम पंक्तियों से सबके लिए मंगलभाव व्यक्त किया कि, “ख़ुशियाँ सभी मुबारक तुमको, ग़म शायर के हिस्से में/ खार हमारे, फूल तुम्हारे हिस्से आएँगे नए साल में।“
वरिष्ठ कवि घनश्याम ने इन शब्दों में राष्ट्र की मंगलकामनाएँ की कि, “ जीवन की बगिया में पुष्पित हर्ष रहे/ मिटे तिमिर ज्योतिर्मय नूतन वर्ष रहे/ शांति, अहिंसा, प्रेम, सदाशयता लेकर/ सबसे आगे प्यारा भारत वर्ष रहे“।
सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा मेहता नगेंद्र सिंह, अनुपमा नाथ, डा अनिता, सागरिका राय, शालिनी पाण्डेय, डा मनोज कुमार, ओम् प्रकाश पांडेय, सुनील कुमार दूबे, बच्चा ठाकुर, डा पुष्पा जमुआर, लता प्रासर, प्राची झा, श्याम श्रवण,वीना द्विवेदी, सच्चिदानंद सिन्हा, डा रामाकान्त पाण्डेय, राज किशोर झा,कुमारी मेनका, डा सुनील कुमार उपाध्याय, कृष्ण मोहन प्रसाद, आनंद किशोर मिश्र, शंकर शरण मधुकर, कमलेन्द्र झा कमल, प्रभात धवन, हरिश्चन्द्र सौम्य, अनिल कुमार सिन्हा, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल‘, अंबरीषकांत समेत अनेक कवि–कवयित्रियों ने अपनी कविताओं से मंगल–भाव की सुरभि बिखराकर नव–वर्ष का अभिनंदन किया।
मंच का संचालन कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद–ज्ञापन सम्मेलन के प्रचार मंत्री और कवि राज कुमार प्रेमी ने किया।