केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान द्वारा उनके सचिव एम डब्ल्यू अंसारी को पद से हटाये जाने की खबर के बाद सोशल मीडिया में विरोध की बाढ़ आ गयी है.
ध्यान रहे कि एम डब्ल्यू अंसारी छत्तीसगढ़ कैडर के डायरेक्टर जनरल रैंक के पुलिस अधिकारी हैं और बताया जाता है कि उनकी ईमानदार छवि के कारण के रहमान खान ने उन्हें पद से तब हटा दिया था जब चुनाव आचार संहिता लागू था. अंसारी मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के सचिव थे. यह फाउंडेशन अल्पसंख्यकों की शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में काम करता है.
अंसारी के पद से हटाये जाने का विरोध न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि विभिन्न समाचार माध्यमों में आयी खबरों में किया जा रहा है.
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डीएनए अखबार की वेबसाइट में अंसारी के हटाये जाने के बाद मोहन मेनन ने लिखा है कि भ्रष्ट सरकार में अच्छे लोगों की जरूरत नहीं होती.
अंग्रेजी पत्रिका मिली गजट की वेबसाइट में भी अंसारी के हटाये जाने के विरोध में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी है. एम नक्काद ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है कि वैसे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है जो खुद को नेता तो समझते हैं लेकिन असल नेतृत्वकर्ता को स्वीकार नहीं करते. रहमान खान मुस्लिम कोटा के मंत्री हैं लेकिन वह अपने लोगों के लिए काम करते हैं.
वहीं शमसुल इस्लाम ने लिखा है कि ईमानदार अधिकारियों के साथ ब्यवहार के मामले में कांग्रेस हिंदुत्व गैंग से किसी मामले में अलग नहीं है.
दूसरी तरफ जान मोहम्मद शेख ने अपना विरोध जताते हुए लिखा है कि आईपीएस अधिकारी अंसारी को इस लड़ाई को मजबूती से लड़नी चाहिए हम उनके साथ हैं.
डीएनए की वेबसाइट पर लिखे प्रतिक्रिया में मुरलीधर ने लिखा है कि के रहमान खान अपने नाकारेपन के लिए मशहूर हैं. मुरलीधर लिखते हैं कि ईमानदार आईएएस-आईपीएस अधिकारियों को उनके खिलाफ विद्रोह करना चाहिए.
फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया लिखते हुए विद्याभूषण रावत ने लिखा है कि हमारी सहानुभूति आईपीएस अधिकारी एमडब्ल्यू अंसारी के साथ है. रावत लिखते हैं कि देश के मंत्रियों ने भ्रष्टाचार के गढ़ में हैं और वे ऐसा काम करते हैं. मुसलमानों को ऐसे नेताओं से सावधान रहना चाहिए.
जबकि फेसबुक पर ही दिये अपनी टिप्पणी में एसएन सिंह ने लिखा है कि इस मनमानी के बाद संबंधित मंत्री को भी पद से हटा देना चाहिए.