विधानसभा चुनवों में मुस्लिम वोटर्स का रुझान कांग्रेस विरोध का रहा लेकिन यह भी सच है कि उसके दिल्ली में 8 में से 5 मस्लिम विधायक जीते वहीं राजस्थान के अजमेर में भाजपा के 2 मुस्लिम जीते.
खुद कांग्रेस के आकलन के अनुसार 2008 चुनावों के मुकाबले कांग्रेस ने दिल्ली में 70 प्रतिशत से अधिक मुसलिम मतदाताओं का समर्थन खो दिया और आप के समर्थन में गया.
इसी प्रकार राजस्थान का उदाहरण लिया जा सकता है, जहांकुल वोटरों में 9-11 प्रतिशत मुसलिम मतदाता हैं. राजस्थान में मुसलिम वोटों का केंद्र कहे जाने वाले अजमेर के चार विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली है. हां इस बार भाजपा ने भी मुसलमानों को टिकट देने में कंजूसी नहीं की उसने अजमेर में तीन मुसलिम उम्मीदवारों को मौका दिया और उनमें से दो को नागौर और डिडवाना में जीत मिली.
इसी प्रकार मध्यप्रदेश में मुसलिम मतदाताओं की संख्या 8 प्रतिशत है. भाजपा ने उन क्षेत्रों में जीत दर्ज की है, जहां मुसलिम मतदाताओं की बड़ी संख्या है.
मुसलिम प्रभाव वाले मुदवारा, भोजपुर और जाओरा सीट भाजपा के खाते में गयी. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (सीएसडीएस) के चुनाव विशल्षक संजय कुमार के अनुसार, जब अल्पसंख्यक समुदाय को विकल्प मिले, तो उन्होंने इसका इस्तेमाल किया. यहां ध्यान देने की बात है कि मुसलमान भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशियों को जम कर वोट किया है.
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, उत्तर प्रदेश और बिहार जहां मुसलिम मतदाताओं की संख्या क्रमश: 19 प्रतिशतऔर 17 प्रतिशत है, 2014 के लोकसभा चुनाव में 545 संसदीय सीटों में से 150 सीटों पर मुसलिम वोटों काखिसकाव असरदार होगा. कांग्रेसी नेता निजी तौर पर यह बात स्वीकार कर रहे हैं मुसलिम वोट बैंक को सहेजनाबहुत मुश्किल होगा और मुसलिम मतदाता कांग्रेस से नाराज है.