मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले साल में कुल 317 करोड़ रुपये यात्राओं पर खर्च किए। यह यूपीए-2 के कैबिनेट द्वारा पिछले साल यात्राओं पर खर्च की गई राशि 258 करोड़ रुपये से 59 करोड़ रुपये ज्यादा है। लेकिन यदि यूपीए सरकार के पिछले पांच सालों का औसत निकाला जाए, तो मोदी सरकार का यात्रा खर्च पिछली सरकार के लगभग बराबर ही है।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, इस राशि में कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा यात्रा पर किया गया खर्च और प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति द्वारा यात्रा के लिए इस्तेमाल किए गए विमानों की देखरेख का खर्च भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साल में अपने मंत्रियों से कहीं ज्यादा यात्रा की है। फिलहाल सरकार के यात्रा खर्चे में कोई कटौती होती नहीं दिख रही, क्योंकि 2015-16 के बजट में पहले ही इस मद के लिए 269 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 65 सदस्यीय मंत्री परिषद के वेतन और अन्य भत्तों पर इस साल कुल मिलाकर 14 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो कि 75 सदस्यीय यूपीए कैबिनेट के लगभग बराबर है। हालांकि पीएमओ के खर्चे की बात करें तो यह यूपीए सरकार के आखिरी साल के 31 करोड़ रुपये के मुकाबले 2014-15 में बढ़कर करीब 40 करोड़ रुपये हो गया। पांच सालों के दौरान (2009-14) यूपीए-2 सरकार ने अपने मंत्रियों और अतिमहत्वपूर्ण व्यक्तियों की यात्रा पर लगभग 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए थे। यदि इसमें नौकरशाहों का यात्रा खर्च भी जोड़ लिया जाए, तो यह मंत्री परिषद द्वारा किए गए खर्च का लगभग दोगुना हो जाता है। उदाहरण के तौर 2011-12 में यूपीए के मंत्रियों और बाबुओं का यात्रा खर्च 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा था। इसमें मंत्रियों की यात्रा पर 679 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जिसमें एयर इंडिया को पिछले सालों के बकाया भुगतानों का भी खर्च शामिल है।