मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों की नयी रोस्टर प्रणाली के अनुरूप फिर से नियुक्ति के मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है।
श्री जावेडकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पत्र के जवाब में कहा है कि आप लोग बार-बार इस मसले पर मुझे लिख रहे हैं जबकि सब लोग इसके बारे में अच्छी तरह जानते हैं कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नहीं बल्कि उच्चतम न्यायलय ने निर्देश दिया है कि विभाग के अनुरूप रोस्टर होना चाहिए यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर की है जिसमें कहा है कि रोस्टर विश्वविद्यालय या काॅलेज को एक इकाई मानकर होना चाहिए। आप चाहे तो मंत्रालय के संयुक्त सचिव से मिल सकते हैं और इस सम्बन्ध में स्पष्टीकरण प्राप्त कर सकते हैं।
डूटा ने 12 जुलाई को श्री जावेडकर को लिखे पत्र में इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है क्योंकि अदालत ने इस मुकदमे की सुनवाई 20 जुलाई को तय की है और उसी दिन काॅलेज खुल रहे हैं। ऐसे में तदर्थ शिक्षकों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गयी है क्योंकि काॅलेज खुलने पर ही तदर्थ शिक्षकों को फिर से नियुक्त किया जाता है और नये रोस्टर से नियुक्ति होने पर आरक्षित पदों की संख्या कम हो जायेगी तब सैकड़ों शिक्षक बेरोजगार हो जायेंगे। गौरतलब है कि इस मुकदमे की सुनवाई जब दो जुलाई को हुई तो अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 20 जुलाई मुक़र्रर कर दी। शिक्षकों की मांग है कि सरकार एक अध्यादेश लाकर इस समस्या को सुलझाये।