बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा वैसे तो ‘खामोश’ करने वाले व्यक्ति है। लेकिन जब वह चुप्पी तोड़ते हैं तो कोई विवाद जरूर पैदा हो जाता है। केंद्र में सत्ता में आने के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में व्यापक परिवर्तन किया है। उसने चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा बंद कर दी है। अब विधायक ही अपने नेता का चुनाव कर रहे हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में विधायकों ने ही अपने नेता का चुनाव किया। झारखंड व जम्मू कश्मीर में हो रहे विधान सभा चुनाव में सीएम उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की गयी है।
बिहार ब्यूरो
भाजपा की आंतरिक राजनीति में आए इस बदलाव का असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ना स्वाभाविक है। जिस तरह से बिहार में भाजपा में सीएम दावेदारों की भीड़ बढ़ रही थी, वह पार्टी की सेहत के लिए खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया था। वैसे में माना जा रहा है कि बिहार का आगामी विधान सभा चुनाव भी नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जाएगा। सीएम उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की जाएगी।
इस स्थिति में भाजपा के सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करने की सलाह देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेता के नाम की घोषणा हो जाती है तो इसका लाभ निश्चित तौर पर मिलेगा। पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सिन्हा ने कहा कि बिहार के चुनाव में जाति एक महत्वपूर्ण फैक्टर है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन सब को ध्यान में रखकर ही निर्णय होना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि वैसे तो भाजपा में नेता का निर्णय सबकी राय से संसदीय बोर्ड ही करेगा। बिहारी बाबू के बयान के यह सवाल चर्चा में है कि वह किसको निशाने पर लेना चाह रहे हैं और किसके भरोसे केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति को चुनौती रहे हैं।