प्रतिष्ठित दिल्ली जिमखाना क्लब के 100 वर्षों के इतिहास में क्या कोई पहली महिला अध्यक्ष चुनी जायेंगी? साढे पांच हजार नौकरशाहों के क्लब का चुनाव 27 सितम्बर को होगा.

जिमखाना क्लब: सौ वर्षों का इतिहास
जिमखाना क्लब: सौ वर्षों का इतिहास

आईएएस आईपीएस और डिफेंस के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों के इस क्लब में इस बार चार लोग चुनावी जंग हैं. इनमें केंद्रीय परिवहन सचिव विजय छिब्बर, रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग यानी रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत, रिटायड डीजीपी बीएल वोहरा और भारतीय सूचना सेवा की उर्मिला गुप्ता शामिल हैं.

उर्मिला के लिए यह चुनाव चुनौतियों से भरा है क्यों कि इस कल्ब में महज 320 महिलायें ही सदस्य हैं.

गुलाम भारत के नौकरशाहों, आर्मी अधिकारियों और समाज के सर्वाधिक सक्तशाली संभ्रांतों के इस क्लब की स्थापना 1913 में हुई थी. तब इस इम्पैरियल डेल्ही जिमखाना क्लब कहते थे.

लेकिन 1947 के बाद इसके नाम से इम्पैरियल शब्द हटा दिया गया.

जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक होती जा रही है चुनाव प्रचार भी काफी परवान चढ़ता जा रहा है. इसबार के चुनाव में सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है.

दूसरी तरफ दुलत इस क्लब के पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं. दुलत ने अपनी अपील में कहा है कि यह जेंटिलमेन क्लब है और यह देश का बेहतरीन क्लब है. इसलिए हमें उम्मीद है कि यह चुनाव कोई महाभारत नहीं होगा, जैसा कि कुछ लोग प्रचारित कर रहे हैं. दूसरी तरफ उर्मिला ने अपना चुनावी एजेंडा फेसबुक पर अपलोड किया है.

जिमखाना क्लब आईएएस, आईपीएस, आएफएस, आईआरएस, रक्षासेवा आदि के टॉप अधिकारियों का कल्ब है और इस वजह से इस क्लब को देश के सबसे पावरफुल क्लब के रूप में जाना जाता है.
फिलहाल इस कल्ब का अध्यक्ष पद पिछले दो टर्म से डेफेंस के अधिकारियों के पास है.

By Editor


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