देश की सीमा पर लड़ने वाले बिहार जवान भी राज्य में सुरक्षित नहीं हैं . ऐसे ही एक मामले में पुलिस कितनी चुस्त है इसका नजारा देखना हो तो छपरा में हुए सैनिक हत्याकांड को देखा जा सकता है.
शिवानंद गिरि, छपरा
गया में पदस्थापित सैनिक रवीन्द्र गिरि की हत्या हुए चार दिन हो चुके हैं लेकिन पुलिस नामजद नौ आरोपियों में से एक को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है.
नगर थाने से महज 2 किलोमीटर पर घटी इस घटना के बाद भी पुलिस इतनी संवेदनशून्य होगी किसी के कल्पना के परे है और ये भी तब जब मृतक जवान फौज में ड्यूटी के दौरान सन् 1988 में भारत सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका के सोमालिया भेजे गए ‘शांति सेना ‘ सहित कारगिल युद्ध में बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लेते हुए देश का आन -बान और शान के बचाने में अहम् भूमिका निभाया.
विदित हो कि 21 जुलाई की सुबह करीब 6 बजे छपरा के कटहरीबाग के आर्यनगर स्थित उनके घर के पास के एक जमीन के टुकड़े को कुछ लोगों द्वारा बॉउंड्री कराये जाने का विरोध करने पर उनकी हत्या कर दी गयी थी और यह घटना बिहार की मीडिया की सुर्खियां बनी थी.
इधर ,घटना के बाद मृतक की पत्नी व पिता की हालत काफी खराब है.आश्चर्य तो इस बात का भी जिस घर का चार -चार लड़का भारतीय सेना में कार्यरत है लेकिन न तो कोई जनप्रतिनिधि और न ही कोई बड़ा प्रशासनिक अधिकारी ही मृतक के परिवार का सुधि लेने आया.
पत्रकार