बुधवार को विधान सभा में हंगामा और उसके बाद सदन का स्थगित किये जाने का कारण यह रहा कि विपक्षी दल मंत्री अब्दुल गफूर द्वारा जेल में कैद शहाबुद्दीन से मिले.
वे गफूर का इस्तीफा मांग रहे थे. विपक्षी विधायकों ने सरकार पर जेल से सरकार चलाने का आरोप लगा रहे थे.
शहाबुद्दीन पर एक दो नहीं, बल्कि हत्या और दीगर अपराध के दर्जनों मामले हैं. कुछ महीने पहले हाईकोर्ट ने उन्हें एक मामले में उम्र कैद की सजा भी दी है. तो दूसरी तरफ उन्हें कई मामलों में जमानत भी मिली है. उनकी छवि आपराधिक रही है. ऐसे में एक मंत्री की हैसियत रखते हुए नीतीश मंत्रिमंडल का कोई सहयोगी जेल जा कर शहाबुद्दीन से मिलता है, फोटो खिचवाता है और चाय नाश्ता करता है तो यह मामला गर्माना ही था, सो गर्मा गया.
एक तरफ नीतीश कुमार सुशान का राज बनाये रखने की बात करते हैं तो दूसरी तरफ उनके मंत्री गुपचुप शहाबुद्दीन की मेहमाननवाजी जेल जा कर स्वीकार करते हैं. इसलिए विपक्षी अगर इस पर शोर करते हैं तो यह किसी तरह से अस्वाभाविक नहीं है.
अब्दुल गफूर का शहाबुद्दीन से मिलना, नीतीश सरकार के लिए बैकफुट पर लाने वाला कदम है. इस मामले सरकार को अपने मंत्री से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए. और राज्य की जनता को आश्वस्त करना चाहिये कि सुशासन के मामले पर राज्य सरकार कोई समझौता नहीं कर सकती.