बिलावल भुट्टो और नरेद्र मोदी की राजनीति में अद्भुत समानता है। पढ़िये कैसे यह समानता मोदी को उस्ताद तो बिलावल को शागिर्द बनाती है।
इर्शादुल हक
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने ट्विटर पर भारत को सबक सिखाने की बात की है। बिलावल के बोल ठीक वैसे ही हैं, जैसा कि विपक्ष में रहते हुये भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के रहते हैं। विपक्ष में रहने की अपनी गैरजिम्मेवारी भरी जिम्मेदारी होती है। एक विपक्ष के नेता के लिये सबसे अहम बात यह होती है कि कैसे वह जनमानस के बड़े हिस्से को प्रभावित कर सके।
जनमानस की भावनाओं का दोहन कर के यह काम आसानी से किया सकता है। इस तरह ध्यान से देखें तो साफ हो जायेगा कि इस काम में भाजपा परम्परागत रूप माहिर है। भाजपा सत्ता से बाहर रह कर यह काम बखूबी करती रही है। आरएसएस तो समूचे पाकिस्तान को भारत में मिलाने की बात करता रहा है। भाजपा ने अक्सर विपक्ष में रहते हुये यह बयान दिया है कि कांग्रेस की सरकार हाथों में चूड़ियां पहने रहती है। जब वह सत्ता में आयेगी तो रातोंरात इस्लामाबाद तक घुस कर वह बदला लेगी। मोदी और बिलावल में एक समानता यह भी है कि दोनों विपक्ष में रह कर एक जैसी रणनीति अपनाने में माहिर हैं।
विपक्ष में रहने वाले मोदी जब पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात करते हैं तो वह दुश्मन देश को सबक सिखाने के बजाये हिन्दुत्ववादी रहनुमा के प्रतीक के रूप में निखरना चाहते हैं। ठीक यही काम बिलावल आज कर रहे हैं। यह याद रखने की बात है कि बिलावल जब भारत को सबक सिखाने की बात करते हैं तो यह कहना नहीं भूलते कि पाकिस्तान कोई गुजरात का मुसलमान नहीं, जो मोदी की प्रताड़ना का शिकार हो कर देखता रह जायेगा। बिलावल जब भारत विरोध की बात करते हैं तो इसे पाकिस्तानी जनता या दूसरे शब्दों मे कहें तो मुसलमानों की भावनाओं से जोड़ते हैं।
याद रखिये कि परवेज मुशर्रफ जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे तो मोदी पाकिस्तान के विरोध में बात करते वक्त जब मुशर्रफ का नाम लेते थे तो उन्हें मियां मुशर्रफ कहना नहीं भूलते थे। इतना ही नहीं “मियां” पर बार-बार जोर देकर पाकिस्तान विरोध के साथ मियां विरोध के सहारे अपनी मानसिकता उजागर करते थे। यही काम बिलावल अब कर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान की राजनीति की एक खास बात यह भी है कि काफी हद तक ये एक-दूसरे देश से घृणा की धुरी पर नाचती है। इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का राष्ट्रवाद एक-दूसरे देश से नफरत से ही उर्जा प्राप्त करते हैं। इन सब बातों से के इतर सत्ता का अपना अलग सिद्धांत होता है। सत्ता में जब आप होते हैं तो आप जिम्मेदारियों से बंधे होते हैं। ऐसे में मोदी चाह कर भी अभी विपक्ष वाली भाजपा के रोल में नहीं आ सकते।
पाठकों को याद होगा कि बिलावल ने कुछ दिन पहले भी एक जनसभा में भारत के खिलाफ ऐसा बयान तब दिया था, जब नवाजशरीफ सरकार के खिलाफ ताहिरुल कादरी और इमरान खान आंदोलन करके सुर्खियां बटोर रहे थे और बिलावल की पीपीपी यानी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी हाशिये में गुम हो गयी थी, लेकिन जैसे ही बिलावल ने वह बयान दिया पाकिस्तानी सियासत में उनकी टीआरपी अचानक बढ़ गयी। हालांकि उस समय कुछ टीकाकारों ने बिलावल के उस बयान को उनकी कम उमरी और अनुभवहीनता से जोड़ कर देखा था। लेकिन अब जब बिलावल ने वही बात ट्विटर पर आ कर कही तो अब साफ हो गया है कि बिलावल भारत और खासकर भाजपा विरोध की राजनीति पर सत्ता की सीढ़ी चढ़ना चाहते हैं।
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