मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पिछली दो सरकार जिस मिट्टी, खाद और पानी से बनी थी, उनकी तीसरी पारी में वे सब उपयुक्त नहीं रह गए हैं। सत्ता की जमीन बदलने के बाद मिट्टी, खाद और पानी बदलना भी जरूरी हो गया है। हवा भी बदलने की तैयारी चल रही है। इसकी शुरुआत आज से नीतीश कुमार ने कर दी है।
वीरेंद्र यादव
सीएम नीतीश करीब पखवारे भर विभागों का कील-कांटी ठीक करेंगे। विभागों की समीक्षा बैठक आज से शुरू हो गयी है। शुरुआत सहकारिता विभाग से हुई। सीएम सचिवालय के संवाद कक्ष में पहली समीक्षा बैठक हुई। इसमें सहकारिता मंत्री आलोक मेहता समेत मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, वित्त आयुक्त रवि मित्तल, सहकारिता सचिव चैतन्य प्रसाद, सीएम के सचिव चंचल कुमार व अतीश चंद्र के अलावा सहकारिता विभाग के वरीय अधिकारी मौजूद थे। नीतीश सरकार में आलोक मेहता राजद कोटे के मंत्री हैं और वह लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। सीएम को आलोक से कुछ ज्यादा अपेक्षाएं हैं।
कार्यशैली और कार्यसंस्कृति में बदलाव
नीतीश कुमार की तीसरी पारी का सामाजिक समीकरण पूरी तरह बदल गया है। इसका असर सरकार के गठन में जातियों की हिस्सेदारी में दिखी। सीएम अब प्रशासन की कार्यशैली और कार्यसंस्कृति में बदलाव लाना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने मुख्य सचिव समेत सीएम सचिवालय के अधिकारियों में अभी फेरबदल नहीं किया गया है। सीएम के प्रधान सचिव डीएस गंगवार को शिक्षा विभाग का प्रधान सचिव बना दिया है, लेकिन वे सीएम के प्रधान सचिव का काम भी देख रहे हैं। अपनी पुरानी टीम में आमीर सुबहानी को वापस लाकर उन्होंने पहले ही संकते दे दिया है कि टीम की कार्यशैली से संतुष्ट हैं और उसी टीम के सहारे नयी जमीन पर ‘सत्ता की खेती’ करना चाहते हैं। विभागीय समीक्षा बैठक के बहाने सीएम ने मंत्रियों और अधिकारियों को यह भी संकेत दे रहे हैं कि कार्य की जिम्मेवारी समझें, तभी सुशासन का संकल्प पूरा हो सकता है।