नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में टॉप लीडरों की सूची में एक ऐसा नाम भी है जिनकी चर्चा नहीं हो रही है लेकिन असम के सांसद बदरूद्दीन अजमल को बुलाए जाने के बड़े राजनीतिक मायने हैं.
अजय तिवारी,एसएनबी
उनके साथ नीतीश की पटना में 15 मिनट की मुलाकात भी रखी जा रही है, जिसका मकसद असम में भी महागठबंधन का प्रयोग करना है. कांग्रेस के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की मौलाना बदरूद्दीन से नहीं पटती है, इसलिए नीतीश का खेमा फिक्र कर रहा है कि कहीं मौलाना भाजपा और मोदी के हाथों में न खेलने लग जाएं. असम में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं.
मौलाना बदरूद्दीन की पार्टी असम की विधानसभा में दूसरी बड़ी पार्टी है और बंगाली बोलने वाले मुस्लिमों में उनका खासा दबदबा है. जद(यू) के महासचिव केसी त्यागी इस बात को छुपाते भी नहीं हैं कि मौलाना बदरूद्दीन के साथ भविष्य में धर्मनिरपेक्ष दल कैसे रिश्ते रखना चाहते हैं.
कौन हैं बद्रुद्दीन अजमल
पिछले दस सालों में असम की राजनीति में सबसे चर्चित चोहरों में से एक हैं अजमल. आल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के संस्थापक हैं और धुबरी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. उन्होंने दिलत-मुस्लिम राजनीति को नयी परिभाषा दी है. विधान सभा में सत्ताधारी दल के बाद उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है. 2011 के विधान सभा चुनाव में उनके दल ने 18 सीटीं जीत कर सबसे बड़े विपक्षी दल का दर्जा प्राप्त किया था.
उन्होंने कहा कि हम यह कभी नहीं चाहेंगे कि मौलाना बदरूद्दीन की वजह से वोटों का बिखराव हो जाए और असम में भाजपा जीत जाए. त्यागी ने कहा कि इस लिहाज से नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में मौलाना बदरूद्दीन का शामिल होना बहुत अहमियत रखता है.
शुक्रवार को नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी जा रहे हैं, लेकिन मौलाना बदरूद्दीन के साथ उनकी अलग से मुलाकात के आसार नहीं हैं. सत्ता विरोधी लहर से जूझ रहे मुख्यमंत्री गोगोई दूसरे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात तो कह रहे हैं लेकिन मौलाना बदरूद्दीन की बजाय असम गण परिषद जैसे दलों की तरफ संकेत कर रहे हैं.
नीतीश कुमार के करीबी कहते हैं कि मौलाना बदरूद्दीन को वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीब लाने का काम कर सकते हैं. वैसे गोगोई को छोड़कर कांग्रेस में अहमद पटेल सरीखे कई नेता हैं जिनके मौलाना बदरूद्दीन से अच्छे संबंध हैं. बदरूद्दीन की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का असम के धुवरी, वारपेटा, नौगांव और ग्वाल पारा की कम से कम 50 सीटों पर प्रभाव है. मौलाना बदरूद्दीन के साथ उनका भाई भी सांसद है.
कांग्रेस ने मौलाना बदरूद्दीन के नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में जाने पर फिलहाल कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. पार्टी ने कहा है कि असम में किसके साथ गठबंधन होगा यह अभी दूर का विषय है.
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