पत्रकार राजदेव रंजन हत्या के मामले में सीबीआई को फजीहत पर फजीहत झेलनी पड़ रही है. इस हत्याकांड को शहाबुद्दीन से जोड़ने की राजनीतिक कोशिशों से सुर्खियां पाये इस मामले में केंद्रीय एजेंसी दूसरे आरोपी के खिलाफ भी आरोप गठित करने में नाकाम रही.
अब नतीजा यह हुआ है कि इस हत्याकांड के आरोपी बने जावेद मियां को जमानत पर रिहा करना पड़ा है. सीबीआई को इस मामले में तीन महीने के भीतर आरोप गठित करना था. यह मियाद पूरी हो गयी पर जावेद के खिलाफ उसे कोई सुबूत तक नहीं मिला. इससे पहले मोहम्मद कैफ को इसी मामले में जमानत, इस बिना पर मिल गयी कि सीबीआई उनके खिलाफ सुबूत नहीं जुटा सकी.
ध्यान रहे कि इस मामले में विपक्षी दलों ने शहाबुद्दीन का नाम जोड़ कर खूब बावेला मचाया था. और लगातार इसकी जांच सबीआई से कराने की मांग की. इसके बाद इसकी जांच बिहार पुलिस से ले कर सीबीआई को सौंप दी गयी. लेकिन इस मामले में न तो बिहार पुलिस ने और न ही सीबीआई को शहाबुद्दीन के खिलाफ कोई आरोप दिखे. उधर इस मामले में मोहम्मद कैफ के बाद, जावेद मियां का रिहा हो जाना सीबीआई के लिए फजीहत का कारण है. इस मामले में अब विपक्षी दल भी चुप्पी साध चुके हैं. भाजपा जैसे दल जो इस मामले में खूब राजनीति कर रहे थे, अब कुछ भी बोलने का साहस नहीं कर पा रहे हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि जांच एजेंसी खुद केंद्र की भाजपा सरकार के मातहत है.
याद रहे कि हिंदुस्तान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या पिछले साल कर दी गयी थी. राजदेव रंजन की पत्नी अशा रंजन ने इस मामले में सीबीआई जांच कराने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मिली थीं.