मोतिहारी के इदरीस मियां ने मियां ने अपनी मशक्कत से सरकारी जमीन पर 2 हजार पेड़ लगा कर पर्यावरण पुरुष के रूप में पहचान बना ली है.
मोतिहारी से इंतेजारुल हक
कहते हैं कि कुछ करने के लिए धन की नही इरादों की जरूरत होती है.इंसान अगर चाह दे तो दुनिया की हर रूकावतें छोटी पड़ जाती है और कम संसाधन के बावजूद वह काम पुरा कर अपनी मंजिल को पा लेता है. कोटवा में सिलाई कर अपने व अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ करने वाले 55 वर्षीय इदरीश मिंया उन्हीं में से एक हैं जिन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकर की जमीन पर तीन वर्ष में दो हजार फलदार वृक्ष लगाए थे.
समाज के लिए कुछ कर गुजरने की ललक ने इदरस की सोच बदल दी और देखते-देखते उन्होने पेड़ लगाने की अति महत्वकांक्षी योजना तैयार कर ली.घर की माली हालत काफी खराब होने के बावजूद इदरीस ने पुरे इलाके में एक नया इतिहास रच दिया.
तिरहुत नहर प्रमण्डल की 5 किलोमिटर की जमीन पर पेड़ लगाने की इजाजत विभाग के अधिकारियों से मांगी जिसे विभाग ने अपने पत्रांक 21 दिनांक 5 जनवरी 2012 को दे दी.
उसके बाद इदरीस का हौसला और बढ़ गया और उन्हों 5 किलोमिटर की दायरे में करीब दो हजार फलदार वृक्ष लगाये. इदरीश की पत्नी नगमा का भी इस अभियान में भरपूर सहयोग मिला. वे भी इबादत समझा इन वृक्षों की देख-भाल करती हैं.
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