राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी की दावत में सलाद और सूप के जायके का लुतफ् उठाने के बाद नीतीश चलने के लिए खड़े हुए तो पत्रकारों ने आदतन उन्हें घेरा. वह चुप, कदम बढ़ाते रहे और उन्हें घेरे पत्रकार उलटे कदम पीछ खिसकते रहे. और फिर चिकेन और पुलाव की थालियों से टकरा कर गिरते रहे.
नौकरशाही डेस्क
नीतीश ने बस इतना ही कहा कि “सिद्दीकी साहब जब बोल ही दिये हैं तो और अब क्या बोलना”. उधर सीद्दीकी पिछले दो घंटे में 11 बार टीवी माइक के समने अपनी बात कह चुके थे. सिद्दीकी के बोलने का सार बस इतना था कि जनता परिवार एक है. लगे हाथ
वह यह भी बोलते रहे कि उनकी पार्टी के तीन विधायक- भाई दिनेश, सुरेंद्र यादव और राघवेंद्र आये नहीं हैं. वह बोले “कोई व्यस्तता होगी. सुरेंद्र जी का फोन लग नहीं रहा है. पर ये तीनों हमारे संग डटे हुए हैं”.
सिद्दीकी जितनी बार टीवी माइक के सामने यह बात कहते, उतनी बार उनके चेहरे पर कृत्रिम आत्मविश्वास नुमायां होता. इस बीच दावत की गहमा-गहमी में नीतीश-सिद्दीकी बंद कमरे में भी गये.
दूसरी तरफ पत्रकार उनके घर पर आयोजित भोज के पुलाव, चिकेन, फिश, मटन की खुश्बू में इस बात की फिक्र करने के बजाये कि नीतीश और मांझी के टकराव का क्या नतीजा होगा, वे भी चिकेन की टांग तोड़ने में व्यस्त रहे. वे तुलना करते रहे कि पिछले दो हफ्ते में होने वाले तमाम भोजों में से कौन सा भोज कैसा रहा.
सरकार बचाने-गिराने के लिए चल रहे इन दावतों से सियासी पेचीदगियां कभी सुलझती दिख रही हैं तो कभी, किसी एमएलए का न आना उलझन पैदा कर रही है. पेचीदगियों के उलझने और सुलझने का यह सिलसिला कल भी चलेगा और आखिरी डिनर नीतीश के 7, सर्कुलर रोड पर रात में होगा और उसकी आखिरी सूरत 20 को असेम्बली में दिखेगी. फिर तय होगा कि मांझी सरकार का हस्र क्या होगा.