मंगलवार को मैं में महाबोधि मंदिर विस्फोट की रिपोर्टिंग के सिलसिले में बोधगया में था.
एनडीटीवी के मनीष जी, हिन्दुस्तान टाइम्स, पटना के अरुण जी, आईबीएन-7 के प्रभाकर जी सहित कई सीनियर मित्रों ने इस मामले में मेरा अनुभव जानना चाहा तब भी मैंने उन्हें यही कहा कि कहीं से ये आतंकी घटना नहीं है जहां तक लगता है मुझे यह आपसी विवाद में नक्सलियों से ली गई मदद से की गई कार्रवाई है।
विनायक विजेता का विश्लेषण
उस वक्त मेरे विचार पर उनकी हंसी ने मंझे ऐसा महसुस कराया कि शायद मेरे अनुभवो की वो खिल्ली उडा रहें हों। मै शुरू से ही इस दावे पर कायम था कि कहीं से ये आतंकी कार्रवाई नहीं बल्कि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के पूर्व और वर्तमान में चल रही वर्चस्वता की लडाई का परिणाम है ताकि ऐसे विस्फोट करा प्रबंधन पर उंगली उठायी जा सके।
मेरी समझ में इस मामले की जांच अपने हाथों में लेने वाली एनआएए की टीम की जांच की दिशा शुक्रवार को उसी ओर मुड गई है जिस दिशा में मैंने शक जाहिर किया था। बिना स्थानीय, मंदिर की सुरक्षा में लगे कोबरा एजेंसी और बीटीएमसी कर्मचारियों के सहयोग से मंदिर के अंदर विस्फोटक ले ही नही जाए जा सकते। मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है उसके अनुसार बोधगया मंदिर भी कमाई का एक अड्डा बना था। इसी कमाई को लेकर मंदिर प्रबंधन जहां दो गुटों में बंटा था वहीं सुरक्ष एजेंसी कोबरा को भी शाम ते की ही ड्यूटी दी जाती थी।
बताया जाता है कि मंदिर के अंदर अराधना (मेडीटेशन) करने के लिए निर्धरित शुल्क पर्ची कटाने का समय शाम 7 बजे तक ही है जबतक कोबरा के जवान वहां ड्यूटी में होते थे पर उन जवानों की ड्यूटी आफ होते ही बीटीएमसी के स्वयंसेवक उनकी जगह ड्यूटी पकड़ लेते थे जिनमे कई कोबरा के ड्रेस में ही होते थे और बीटीएमसी के पदाधिकारियों की मिलीभगत से 7 बजे रात के बाद आए बौद्धिस्टों से अराधना के नाम पर मनमानी रकम वसूल करते हैं।
संभव है बम प्लान्ट करने वालों ने इसी रिश्वतखोरी का फायदा उठाया हो या रात में सुरक्षा की कमान संभालने वाले बीटीएमसी के कर्मचारियों से उनकी मिलीभगत हो क्योंकि अधिकांश कर्मचारी युवा हैं जो पैसे के लोभ में कुछ भी कर सकते हैं। इधर एक शक यह भी है कि हमलावर किसी होटल में ठहरने के बजाए मंदिर के आसपास बने उन निजी मकानों में पेर्इंग गेस्ट के रुप में भी ठहरे हो जो इन दिनों बिना किसी परिचय पत्र या पहचान के पैसे लेकर बोधगया आने वाले अतिथियों को होटलों के कमरो से काफी कम दाम पर अपने यहां ठहरा रहें हैं।
सूत्र बतातें हैं कि एनआए एक की टीम भी इस दिशा में जांच शुरु कर चुकी है। एनआइए ने जनता से सहयोग के लिए उन्हें एनआइए को सूचना देने के लिए एक मोबाइल (8540848216) नंबर भी जारी किया है जिसमें सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा।
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