मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश के उत्तरी इलाके में अमूमन हर साल आने वाले बाढ़ को एक राज्य विशेष की नहीं बल्कि राष्ट्रीय समस्या बताया और कहा कि यहां के बाढ़ संबंध वर्षापात से नहीं बल्कि नेपाल से आने वाला पानी है।
श्री कुमार ने आज पटना में मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवादकक्ष में बिहार आपदा जोखिम न्यूनीकरण रोडमैप 2015 से 2030 के कार्यान्वयन के लिए एशियन डिजास्टर प्रिपेयर्डनेस सेंटर (एडीपीसी) बैंकाक, थाईलैण्ड के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर के बाद आयोजित कार्यक्रम में कहा कि बिहार अनेक प्रकार की आपदाओं को झेलता है। राज्य को बाढ़ और सुखाड़ दोनों का एक साथ सामना करना पड़ता है, जिससे जब भी बाढ़ की समीक्षा की जाती है तो साथ ही सुखाड़ की भी समीक्षा करनी पड़ती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम में बदलाव आ रहा है। पिछले एक दशक में दो वर्षों को छोड़कर आठ वर्षों में कभी भी सामान्य वर्षा नहीं हुई है, जिससे राज्य का जलस्तर नीचे जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाढ़ का संबंध वर्षापात से नहीं है। बिहार में जब भी बाढ़ की गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है तो वह नेपाल के कारण होती है। यह राज्य की समस्या न होकर राष्ट्रीय चिंता का विषय है। उन्होंने कोसी की प्रलंयकारी बाढ़ की चर्चा करते हुए कहा कि उस साल राज्य में कोई खास बारिश नहीं होने के बावजूद यह तबाही आयी। नेपाल के क्षेत्र में बांध की कमजोरी के कारण बांध टूटने से विकराल स्थिति उत्पन्न हुई थी। इस मौके पर आपदा प्रबंधन मंत्री चंद्रशेखर के अलावा दोनों पक्षों के वरीय अधिकारी मौजूद थे।