रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने देश में दूध , सब्जियों तथा अन्य खाद्य पदार्थो की पैकेजिंग में अनिवार्य रूप से जैविक तौर पर नष्ट किये जा सकने वाले सस्ते प्लास्टिक का इस्तेमाल करने के बारे में अध्ययन करने के लिए आज एक कार्यबल के गठन करने की घोषणा की । इसके साथ ही उन्होंने देश में केन्द्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी संस्थानों की संख्या बढाकर 100 करने (सिपेट) का ऐलान किया ।
श्री कुमार ने नई दिल्ली में पेट्रो रसायन एंड डाउन स्ट्रीम प्लास्टिक प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में प्रौद्योगिकी नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि मंत्रालय के सचिव अनुज कुमार बिश्नोई की अध्यक्षता में कार्यबल का गठन किया जायेगा, जो जैविक रूप से नष्ट किये जाने वाले प्लास्टिक के उत्पादन , उपयोग और कीमत के बारे में अपनी सिफारिशें देगा ।
उन्होंने कहा कि कार्यबल की सिफारिशों पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा करायी जायेगी तथा इसके बाद प्लास्टिक को लेकर एक राष्ट्रीय नीति तैयार की जायेगी । इससे पैकेजिंग में प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित किया जा सकेगा और प्लास्टिक कचरे की समस्या कम हो सकेगी ।
श्री कुमार ने कहा कि रसायन पेट्रोरसायन एवं प्लास्टिक उद्योग की विकास दर 12 प्रतिशत है और अगले तीन वर्ष में इस दर को 15 प्रतिशत पर ले जाने का लक्ष्य है । वर्ष 2020 से पहले ही देश में वार्षिक दो करोड टन प्लास्टिक के खपत के लक्ष्य को पूरा कर लिया जायेगा । देश में सालाना प्रति व्यक्ति 10 किलो प्लास्टिक की खपत है जबकि दुनिया में यह दर 32 किलो है ।