बांग्लादेश के ढ़ाका में आतंकी हमला में मारे गये बीस लोगों में से एक तराशी जैन का नानीहाल बिहार के आरा में हैं. तराशी के रिश्तेदारों के माध्यम से मिली यह जानकारी हम आपसे साझा कर रहे हैं.
विनायक विजेता
बंधक बनाने के बाद आईएस ने की थी तराशी की हत्या भारत के लिए भी आइएस बना गंभीर खतरा ‘To the most selfless, compassionate, and devoted mother – happy birthday. Thank you for going above and beyond in literally everything you do for me, you deserve all the happiness in the world. This goes without saying, but I love you more than you could ever imagine ’
मां के प्रति अगाध आदर और प्रेम को दर्शाता यह शब्दांश है 20 वर्षीया तराशी जैन की जिसने बीते 24 जून को अपनी मां तुलिका जैन के जन्म दिन के सालगिरह पर मां को संबोधित कर अपने फेसबुक वॉल पर यह लिखा है। तराशी ने इस स्टेटस के साथ अपनी मां की वह (अब सिर्फ यादगार) तस्वीर भी डाली है जिसमें उसकी मां उसे चुंबन ले रही है। गौरतलब है कि शुक्रवार को आइएस आतंकियों ने ढाका के एक प्रसिद्ध वेस्टर्न स्टाइल रेस्तरा ‘हॉली एरीटीशन बेकरी’ (होटल की तस्वीर-4) पर हमला कर बीस ग्राहकों को बंधक बना लिया जिन बंधकों में भारतीय मूल की छात्रा तराशी जैन भी शामिल थी। बाद में आतंकियों ने सभी बंधकों का मजहब पूछकर उनकी गला रेतकर हत्या कर दी।
तराशी जैन का ननिहाल बिहार के आरा शहर में है। तराशी के पिता संजीव जैन आज से 16 वर्ष पूर्व ढाका में ही बस गए थे और वहीं उनका रेडीमेड कपड़ो का एक बड़ा व्यवसाय है। ‘हम दो-हमारे दो’ वाले संजीव जैन के परिवार में उनकी पत्नी तुलिका, पुत्र संचित जैन और पुत्री तराशी जैन ही (तस्वीर-2) सदस्य हंै। तराशी अपने मां पिता के साथ अपने भाई की भी दुलारी थी। तराशी के माता-पिता ने कुछ दिनों पूर्व अपनी शादी की सालगिरह भी मनायी थी और माला पहनकर (तस्वीर-3) अपनी प्यारी बिटिया के साथ तस्वीर भी खिचवायी थी।
तराशी की आतंकियों द्वारा की गई निर्मम हत्या की धटना ने जैन परिवार को तोड़कर रख दिया है। बिहार के आरा में रहने वाले संजीव जैन के एक रिश्तेदार ने फोन पर बताया कि संजीव व तुलिका इस घटना से इतने व्यथित और मर्माहत हैं कि उन्होंने ढाका (बांग्लादेश) से अपना व्यवासय समेट भारत आने का मन बना लिया है। संजीव जैन का परिवार मूल रुप से यूपी के फिरोजाबाद का रहने वाला है। संभावना है कि तराशी के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद उसका अंतिम संस्कार और अन्य कर्मकांड फिरोजाबाद स्थित उनके पैतृक आवास से ही हो।
बहरहाल बांगलादेश की राजधानी तक पहुंच चुके आइएस आतंकी भारत के लिए भी गंभीर खतरे की घंटी बजा चुके हैं। भारत अगर सर्तक नहीं हुआ तो यह प्रतिबंधित संगठन बांग्लादेश के रास्ते भारत में भी घुसपैठ कर यहां भी आतंकी कार्यवाइयों को अंजाम दे सकता है। गौरतलब है कि अमेरिका और अन्य विकसित देशों की तरह आईएस आतंकियों की नजर भारत पर भी है।