एमसीआई पर संसदीय कमेटी की रिपोर्ट चौंकाने वाली है जो बताती है कि उत्तर और पूर्वी भारत में आबादी के अनुरूप डाक्टरों की भारी कमी है जबकि दक्षिण के कुछ राज्यों में सरप्लस डाक्टर तैयार हो रहे हैं.
एमसीआई यानी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया पर संसदीय कमेटी की रिपोर्जट बताती है कि पश्चमी और दक्षिणी भारत में जनसंख्या के अनुपात में औसत डाक्टरों की संख्या उत्तर और पूर्वी भारत की तुलना में काफी अधिक है.
रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में 91 हजार रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिनश्नर हैं उसके बाद कर्नाटक नम्बर आता है जहां 66 हजार मेडिकल प्रेक्टिश्नर हैं. इस प्रकार इन राज्यों में 1:1230 और 1:930 डाक्टर-मरीज अनुपात है. रिपोर्ट के अनुसार अवसत अनुपात 1:1700 है.
रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यहा सामने आयी है कि झारखंड में महज 135 रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर हैं जबकि छत्तीसगढ में यह संख्या 213 है.
संसद में पेश इस रिपोर्ट के अनुसार मरीजों और डाक्टरों का अनुपात राज्यों में मेडिकल कालेज की संख्या पर निर्भर है. यानी जिन राज्यों में मेडिकल कालेजों की संख्या अधिक है वहां डाक्टरों की संख्या भी अधिक है.
महाराष्ट्र में 56 मेडिकल कालेज हैं जबकि कर्नाटक में 54 मेडिकल कालेज हैं. रिपोर्ट के अनुसार असम में 7, छत्तीसगढ में 5, मध्य प्रदेश में 12, और झारखंड में 5 मेडिकल कालेज हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र अपनी जरूरतों से ज्यादा एमबीबीएस तैयार करता है जबकि बिहार, झारखंड छत्तीसगढ, असम आदि ऐसे राज्य हैं जहां आवश्यकता भर एमबीबीएस तैयार कने से काफी पीछे हैं.
इस संबध में रिपोर्ट में यह बात स्वीकार की गयी है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की कड़ी शर्तों के कारण मेडिकल कॉलेज खोलने में कई राज्यों में काफी परेशानियां हैं. हांलांकि केंद्र सरकार भी इस बात पर समहत है कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया को इन कड़ी शर्तों में ढील देने की जरूरत है.
डीएन से साभार