डेढ़ साल बाद भाजपा समर्थित जदयू सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने राज्य महिला आयोग का पुनर्गठन कर दिया है। पिछले साल मई महीने में सभी राजनीतिक नियुक्तियों वाले आयोग के अध्यक्षों और सदस्यों से ‘जबरिया’ इस्तीफा ले लिया गया था। इसके बाद से महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्य का पद खाली था। महिला आयोग के पुनर्गठन में भाजपा के आधार वोट भूमिहार और मुख्यमंत्री के स्वजातीय वोट कुर्मी का खास ख्याल रखा गया है। आठ सदस्यों में दो भूमिहार जाति की हैं। इसे ‘भूमिहार आयोग’ कहने में भी अतिश्योक्ति नहीं हो सकती है।
आयोग का हुआ पुनर्गठन, 8 में से 2 सदस्य भूमिहार
वीरेंद्र यादव
समाज कल्याण विभाग के तहत कार्यरत समाज कल्याण निदेशालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार पूर्व विधायक और जदयू की नेता दिलमणी मिश्रा को अध्यक्ष बनाया गया है। वे भाजपा के संस्थापक सदस्य कैलाशपति मिश्रा की पारिवारिक सदस्य हैं। पिछले विधान सभा चुनाव में ब्रह्मपुर से भाजपा से टिकट कट जाने के बाद जदयू में शामिल हो गयी थीं। इसके अलावा पूर्व विधायक डॉ उषा विद्यार्थी और प्रतिमा सिन्हा को भी सदस्य बनाया गया है। प्रतिमा सिन्हा पिछड़ा वर्ग कोटा और ऊषा विद्यार्थी विधि विधान कोटा से सदस्य बनी हैं।
अनुसूचित जाति कोटे से मंजू कुमारी, अनुसूचितजन जाति कोटे से निक्की हेम्ब्रम, सामाजिक कार्यकर्ता कोटे से नीलम सहनी, अल्पसंख्यक कोटे से रजिया कालिम अंसारी और सामान्य कोटे से रेणु देवी सदस्य बनी हैं। इसके अलावा आयोग में तीन सरकारी सदस्य होंगे। आयोग में दिलमणि मिश्रा और ऊषा विद्यार्थी भूमिहार जाति की हैं। प्रतिमा सिन्हा कुर्मी और रेणु देवी कुशवाहा जाति से आती हैं।
इन सदस्यों का अधिकतम कार्यकाल तीन का है। सरकार चाहे तो उन्हें तीन साल से पहले भी ‘विदाई’ कर सकती है।